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शहर समाप्त होते जा रहे सार्वजनिक पेशाबघर

कानपुर नगर | जैसे जैसे शहर का दायरा बढता जा रहा है, यहां जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है वैसे-वैसे कई मूल-भूत समस्याओं का कम होना भी लगातार जारी है। भले ही जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नही दे रहे है लेकिन इन समस्याओ से आम जनता को रोजाना दो-चार होना पड रहा है। ऐसी ही समस्या में एक समस्या पेशाबघर की है। शहर में दो दशक पहले सार्वजनिक स्थानों पर पेशाबघर बने थे जो समय के साथ खत्म हो गये है। स्थानीय लोगो ने अतिक्रमण के चलते उन्हे या तो ध्वस्त कर दिया है या अवैध निर्माण खडा करने के लिए अधिकारियों से सांठ-गांठ सरकारी पेशाबघरो को ही नष्ट करा दिया है। आज शहर के कई इलाकों मे कई कारोबारी क्षेत्रों में पेशाबघर नही है। ऐसा नही की यहां पेशाबघर नही था। सन 1990-95 के बाद शहर में भू-माफियाओं और अतिक्रमणकारियों का ऐसा जोर बढा की इंच भर जमीन पर भी इनकी नजर लगी रही। ऐसे में विभाग के अधिकारियों से मिलकर भू-माफियाओं ने अपनी सुविधानुसार पेशाबघरों को गिरवाकर अवैध निर्माण करा लिया तो फुटपाथों पर लगे बिजली के खंभो की जगह बदल दी तो कहीं हैण्ड पंपो को उखडवा दिया। स्थानीय पार्षदो से लेकर नगर निगम के अधिकारी भी इस खेल में शामिल रहे।

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