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स्कूलों में नहीं रूक रहा है अवैध वसूली का सिलसिला

इटावा। एक ओर तो सरकार द्वारा जूनियर कक्षाओं में सभी तरह के शुल्क माफ कर दिए गए हैं। वहीं इंटर तक अध्ययन करने वाली छात्राओं को भी मुफ्त में शिक्षा की व्यवस्था का प्रावधान है। इसके बावजूद बकेवर, लखना, महेवा, अहेरीपुर और आसपास के क्षेत्रों में प्रवेश के नाम पर जुलाई माह में ही स्कूल प्रबंधकों द्वारा करोड़ों रुपए की वसूली हो रही है। क्षेत्र में स्थित प्राइवेट विद्यालय हो चाहे सरकारी अनुदानित स्कूल हो या वित्तविहीन यहां तक कि राजकीय विद्यालय भी वसूली में पीछे नहीं है। नकल के लिए बदनाम रहे और जनपद में शिक्षा माफिया पूरी तरह हावी है। शासन चाहे जितनी योजना संचालित करें लेकिन इस क्षेत्र में उन योजनाओं पर माफिया हमेशा ही पानी फेरते नजर आए विदित हो कि प्रदेश सरकार ने कक्षा 1 से 8 तक की सभी तरह के शुल्क माफ कर दिए है। प्राइमरी विद्यालय में भले ही बीस रुपये में दाखिला हो रहा हो, लेकिन माध्यमिक विद्यालयों में पांच सौ रुपये से लेकर एक हजार तक की अवैध वसूली की जा रही है कक्षा 9 में एक हजार से दो हजार कक्षा 11 व 12 में प्रवेश के नाम पर दो हजार से तीन हजार स्नातक स्तर पर तीन हजार से लेकर सात हजार रुपया वसूला जा रहा है। वहीं वित्त विहीन विद्यालयों में दस हजार तक प्रति वर्ष वसूल किए जा रहे हैं।अभिभावक संघ का शुक्ल विद्यालयों में पूरी तरह अवैध घोषित कर दिया गया है। लेकिन शायद ही ऐसा कोई विद्यालय हो जहां 50 रुपये से लेकर 200 रुपये तक की वसूली हो रही हो। यह हाल माध्यमिक विद्यालयों का है। इंग्लिश मीडियम विद्यालयों में तो मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है। नर्सरी में प्रवेश कराने वाले अभिभावकों से दो हजार से लेकर पांच हजार तक की वसूली की जा रही है। जैसे जैसे कक्षाएं बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे शुल्क की दरें भी बढ़ती जाती हैं।बताया गया है कि प्रबंधक तंत्र द्वारा इन विद्यालयों को अवैध कमाई का जरिया बना दिया गया है। विद्यालय चाहे नामी-गिरामी हो या सामान्य अवैध वसूली में कोई पीछे नहीं है। जिन विद्यालयों में प्रधानाचार्य परिषद शिक्षक संघ एवं शिक्षणेत्तर संघ के पदाधिकारी कार्यरत हैं। वहां भी अवैध वसूली अन्य विद्यालय से कम नहीं हो रही है। हास्यास्पद स्थिति यह है कि अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय भले इस शुल्क की रसीद दे रहे हों। लेकिन माध्यमिक विद्यालयों में किसी प्रकार की कोई रसीद अभिभावकों को उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। छात्रों की अपेक्षा बालिका विद्यालयों में लूट खसोट का यह धंधा चरम सीमा पर व्याप्त है जहां प्रधानाचार्य दबंग है वहां अवैध वसूली की धनराशि उनकी जेबों में जा रही है और जहां प्रबन्धक तंत्र शक्तिशाली है। वहां अवैध कमाई का धन सीधा प्रबन्धक तंत्र के खाते में जमा हो रहा है। अभिभावकों से जब इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि अवैध वसूली की कोई सीमा नहीं है। हम शिकायत भी नहीं करे तो किससें कर सकते है अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की शिकायत करें तो किस से करें। क्योंकि बेसिक शिक्षा विभाग से भले ही उन्हें मान्यता प्राप्त हो लेकिन विभागीय अधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं ।जिलाधिकारी से इन विद्यालयों में हो रही धन उगाही कि जांच किसी उच्च अधिकारी से कराकर कार्यवाही हेतु आग्रह किया।

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