अली आबिद ज़ैदी
यदि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानी तो जल्द ही आपको शादी में हुए कुल खर्च का हिसाब किताब देना होगा। सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि शादी में हुए खर्च का हिसाब देना अनिवार्य करे सरकार । सरकार परिवारों के लिए शादी में हुए खर्च का खुलासा अनिवार्य करने पर विचार करें , कोर्ट के मुताबिक वर और वधू दोनों पक्षों के लिए शादी से जुड़े खर्चे को संबंधित मैरिज ऑफिस को लिखित रुप से बताना अनिवार्य कर देना चाहिए । सरकार को इस बारे में नियम कानून की जांच कराकर संशोधन पर भी विचार करना चाहिए , सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कदम से दहेज के लेने देने पर भी लगाम लगने साथ ही दहेज कानून के तहत दर्ज होने वाली फर्जी शिकायतें भी कम हो जाएगी । कोर्ट ने यह भी कहा है कि शादी के लिए तयशुदा खर्च में भी एक हिस्सा वधू के बैंक अकाउंट में जमा करवाया जाए ताकि भविष्य में जरुरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके । कोर्ट ने कहा है कि इसे अनिवार्य करने पर भी सरकार विचार कर सकती है ।
इस कदम का मकसद दहेज जैसे अपराधिक मामलों को रोकना है जिसकी वजह से वधू वा उसके परिवार को बहुत सी दिक्कतों का सामान करना पड़ता है तथा दहेज के नाम पे हो रही फर्जी शिकायते को भी लगाम में लाना है ताकि किसी भी व्यक्ति या उसके परिवार को बिना किसी गलती के सजा ना मिले । अक्सर ये देखा गया की दहेज की वजह से बहुत सी लड़कियों की शादी टूट जाती है , लड़की के घरवाले कर्ज लेते है और फिर बाद में कर्ज ना चुका पाने के कारण बर्बादी की स्थिति में आ जाते है । लड़कियों को भी ससूराल में प्रताड़ित किया जाता है जिसकी वजह से वे अपनी जान तक दे देती हैं। इन्हीं सब मामलों में कमी लाने तथा इन्हे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी और इसे अनिवार्य करने की भी बात कहीं ।