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अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण मे, भारत अब राम की नीति भय बिनु होई न प्रीति पर चलेगा।

मुस्लिम राष्ट्र इंडोनेशिया में भी अनेक रामायण प्रचलित है।

संवाददाता अखिलेश दुबे
लखनऊ । 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देशों में राम कथा की रामयण प्रचलित है। इनसे प्रतीत होता है कि राम विश्वव्यापी रहे थे। इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम राष्ट्र में भी अनेक रामयण प्रचलित है। आज भी इंडोनेशिया में राम पूज्यनीय है। श्रीलंका और नेपाल तो भगवान श्रीराम की कथाओं से जुड़े हुए हैं ही साथ ही ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग मिलते हैं। राम सबके हैं और सबमें राम है कि भावना राम को विश्वव्यापी बनाती है। आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी ने भी रामराज्य का सपना देखा था। रामचन्द्र का तेज सूर्य के समान और क्षमा पृथ्वी के समान थी। इसलिए श्रीराम को सम्पूर्ण माना गया है। भारत में अपने इतिहास में बहुत उतार चढ़ाव देेखे हैं, राम के अस्तित्व को मिटाने के बहुत प्रयास किए गए, लेकिन राम तो हर इंसान के मन में बसे हुए हैं। राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। आज कोरोना संक्रमण के समय भी मर्यादाओं का ख्याल रखते हुए ही भूमि पूजन का समारोह किया गया है। लेकिन राम की यह भी नीति रही कि भय बिनु होई न प्रीति। भारत अब इसी नीति का अनुसरण करेगा। मोदी ने भले ही अपने भाषण में चीन और पाकिस्तान का उल्लेख नहीं न किया हो, लेकिन श्रीराम की नीति का उल्लेख कर चीन और पाकिस्तान को चेतावनी दे दी है। मोदी ने अपने भाषण में स्वीकार किया कि भारत की विशेषता अनेकता में एकता है। उन्होंने राम के किरदार को आगे रखकर यह बताया कि भारत में किस तरह लोग भाईचारे के साथ रहते हैं। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब भी देशवासियों ने मर्यादा दिखाई और आज जब भूमि पूजन का समारोह हुआ तब भी मर्यादा दिखाई जा रही है। उन्होंने कहा कि मंदिर बनने से अयोध्या का धार्मिक महत्व ही नहीं बड़ेगा बल्कि उत्तर प्रदेश आर्थिक दृष्टि से मजबूत होगा। अयोध्या के माध्यम से भारत को एकजुट करने की प्रेरणा भी मिली। मोदी ने कहा कि दुनिया का इतिहास बताता है। कि देश की आजादी के लिए अनेक लोगों ने बलिदान दिए, लेकिन भारत में रामजन्म भूमि के लिए भी लाखों लोगों ने बलिदान दिया। आज उन्हीं बलिदानियों की वजह से राममंदिर बनने का सपना साकार हो रहा है।

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