अवैध निर्माणों में लिप्त भ्रष्ट अवर अभियंताओं पर नही होती कोई कार्यवाही आखिर क्यों ?
लखनऊ। तेज तर्रार लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षत कुमार त्रिपाठी अपनी दूरदर्शी कार्य शैली से विभाग को एक शीर्षस्थ स्थान तक पहुचाने के लिए अथक प्रयास कर रहे है। वही दूसरी ओर विभाग के चंद भ्रष्ट अधिषासी अभियंता व अवर अभियंता उपाध्यक्ष महोदय के आदेशों की अवैध निर्माण को प्रोत्साहन देकर सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। ज़ोन 3 में विनोद शंकर सिंह व जोन 5 सुशील कुमार सिंह व भ्रष्ट अधिषासी अभियंता साथ साठ गांठ करके सैकड़ों अवैध निर्माणों को पूरा संरक्षण देकर अंजाम दे रहे है। प्राधिकरण के उक्त अधिकारी बिल्डर के साथ मिली भगत करके या तो मानचित्र के विपरीत मानकों के आधार पर या बिना नक्शा पास कराए एक बड़ी रकम लेकर पहले अवैध निर्माण को प्रोत्साहन देते हैं शिकायत आने पर झूठी खाना पूर्ति करके सील करते हैं । उसके बाद खुद से पल्ला झाड़ने के लिए अवैध निर्माण को पुलिस की अभिरक्षा में दे दिया जाता है।उसके बाद पुलिस के साथ मिलकर होता है असली खेल। सभी कार्यवाहियां होने के बाद उक्त अधिकारियों के संरक्षण में अवैध निर्माण जारी रहता है। जान बूझकर आँखें बंद कर ली जाती है और कुछ समय बाद मीडिया और उच्च अधिकारियों की आंखों में धूल झोकते हुए निर्माण को एक बड़ी रकम लेकर पूरा करवा दिया जाता है। वाद न्यायालय में चलता रहता है और अवैध निर्माण इन भ्रष्ट अभियंताओं के संरक्षण में पूरा हो जाता है। न्यायालय अपना निर्णय अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का आदेश भी पारित करता है पर भ्रष्ट अभियंताओं के खिलाफ शहरी नियोजन विकास अधिनियम की धारा 126 घ के तहत अवैध निर्माण को प्रोत्साहन देने वाले भ्रष्ट अभियंताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नही की जाती है ? ऐसे ही कुछदागदार अधिषासी अभियंता व अवर अभियंता हर जोन में तैनात है जो एक लंबे समय से दागदार होते हुए भी प्रवर्तन विभाग में अपने राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव के चलते जमे हुए है। इन भ्रष्ट दागदार अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाले अभियंताओं को आखिर वर्षों से क्यों तैनाती दी हुई है ? कही ऐसा तो नही कि लखनऊ विकास प्राधिकरण का शीर्षस्थ प्रशासन भी इन अवैध निर्माणों के संरक्षण में शामिल तो नही ?