संवाददाता, अखिलेश दुबे
लखनऊ। कमिश्नरेट की ताकत है। जहां पहले 4 सिपाही तैनात थे वहां अब 40 हैं। ऐसे में इतनीं उम्मीद तो कर सकते हैं कि वह इस कोरोना काल मे आम आदमी की मदद करे? प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जहां कंटेन्मेंट जोन बना रहे हैं वहां पुलिस बेरिकेडिंग नहीं लगा रही। संक्रमित मरीजों पर नजर नहीं रख रही। गोमतीनगर विनय खंड में पोसिटिव आया एक परिवार जगह जगह घूम रहा है। ट्विटर पर मैसेज चल रहा है। कौन रोकेगा उनको? सीएमओ या डीएम, या मुख्यमंत्री जी? ये जिम्मेदारी पुलिस की है। बृहद कंटेन्मेंट ज़ोन बने तो पूरे थाना क्षेत्र को बल्लियों में कैद कर पुलिस वाले नदारद हो गए। किसी को ट्रेन तो किसी को फ्लाइट से जाना था लेकिन टैक्सी को ढूंढने के बाद भी घर तक पहुंचने के लिए कोई खुला रास्ता नहीं मिला। किसी बैरिकेड पर कोई सिपाही मदद को नहीं। आखिर क्यों?
इतनीं सुविधाओं के बाद भी मुश्किल वक्त में इतनीं लापरवाही क्यों?काश पुलिस सच मे मुस्तैद हो जाए तो जाने कितनी जान बच जाएं।