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यूपी उर्दू अकादमी के साझा से एक सेमीनार

लखनऊर |अवध  वेल्फ़ियर फाउंडेशन  की जानिब से यूपी उर्दू अकादमी के साझा से एक सेमीनार बउनवान  अदबी दुनिया में उर्दू का किरदार के तहत जय शंकर सभागार क़ैसरबाग मे किया गया । जलसे  की अध्यक्षता इस्लामीया कॉलेज के मिर्ज़ा शफ़ीक़ ने की। जबकि संचालन डॉक्टर मसीहुद्दीन खानए मसीह ने की। और मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी शरीक हुए। जबकि विशिस्ट अतिथि में वसीम राइनी और पत्रकार गुफरान नसीमए मौलाना अब्दुल करीमए डॉक्टर रोमा ने अपना मकाला पेश किया। इस सेमीनार में दो शखसियत रोज़नामा इंक़लाब से जिलानी खानए सामाजिक सेवाओं के लिए अर्जुन पंडित को अवार्ड से सम्मानित गया। कार्यक्रम की  शुरूआत  इब्राहीम काकोरवी ने तिलवाते कुरान से किया। इसके बाद अब्दुल नईम कुरैशी ने नात शरीफ़ पेश की। कनवेनर शफकत सुल्तानाए और को.ओर्डिंटर सबीहा सुल्ताना ने परिचयात्मक भाषण पेश किए । फूलों के गुलदस्ता से मेहमानों का इस्तक़बाल डॉक्टर रज़िया परवीनए शखकमा सुल्तानाए इलियास मंसूरीए डॉक्टर शोभा त्रिपाठीए मोहम्मद खालिद वग़ैरा ने किया। नाज़िम जलसा डॉक्टर मसीहुद्दीन खान ने कहा कि यह सोसाइटी बधाई की पात्र है जिसने इतने महत्वपूर्ण विषय पर सेमीनार आयोजित किया और उर्दू के इतिहास पर प्रकाश डाला । सबीहा सुल्ताना ने सेमीनार के उद्देश्य पर तफसील से प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें माज़ी के अध्ययनए इतिहास और राजनीतिक धार्मिक सामाजिक पहलुओं से वाकफ़ियत होती है। इससे कवानीन इन्साफ़ का पता चलता है। यह दुर्लभ और आर्थिक रूप से भी बहुत कीमती हैं । गुफरान नसीम ने अपना शोध पेश करते हुए कहा कि आज दुनिया भर में बड़ी तादाद में उर्दू भाषा के शेदाईए प्रशंसक कलम कार मौजूद हैं। और ये भी एक हकीकत है कि भारत से ज्यादा तखलीकी और तहकीकी काम उर्दू की नई आबादीयों में हो रहा है। मौलाना अब्दुल करीम ने अपना शोध पेश करते हुए कहा कि उर्दू बहुत मीठी  भाषा है। और ये भारतीय भाषा है। ये हजारों साल पुरानी भाषा है। इस अवसर पर जिलानी खान और अर्जुन पंडित ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि सोसाइटी का आभारी हूँ। जिन्होंने हमें इस सम्मान से सम्मानित किया। कुदरातुल्लाह और वसीम राइनी भी अपने तासूरात पेश किया ण् मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा अदबी दुनिया मे उर्दू का बहुत बड़ा किरदार है। और ये भाषा अपनी भूमिका की वजह से तेजी से विकसित कर रहा है। सदर जलसा मिर्ज़ा शफ़ीक़ इसलामिया कॉलेज ने संबोधन में कहा कि आज उर्दू वेनटिलेटर पर होने के बाद भी जिंदा है। ये इस भाषा की खूबी है। उर्दू  ने कई बड़ी भूमिका निभाए हैं। कार्यक्रम में काफी संख्या में लोगों ने भाग लिया। अंत में कोर्डिनेटर सबीहा सुल्ताना ने सभी का धन्यवाद किया और मसीहुद्दीन खान ने सभा के अंत की घोषणा की।

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