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यूपी पुलिस का कारनामा..14 बार बदली जांच,

गोंडा में दलित की हत्या मामले में प्रमुख सचिव गृह सख्त, बेटा बोला,जांच अधिकारी आरोपियों से मिले हैं
लखनऊ, (यूएनएस)। उत्तर प्रदेश पुलिस अपने कारनामों को लेकर अक्सर चर्चा में रहती है। एक बार फिर पुलिस का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। छह साल पहले गोंडा में हुए एक दलित बुजुर्ग की हत्या के मामले में 14 बार जांच बदल दी गई। 6 बार जिला पुलिस के और 8 बार सीबीसीआईडी के जांच अधिकारी बदल दिए गए।
जांच भी तब बदल दी जाती, जब नामजद आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से गैर जमाती वारंट और कुर्की तक के आदेश दिए जाते। इसी बीच अचानक सीबीसीआईडी में जांच कर रहा अफसर बदल दिया जाता। अब इस मामले में प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने 14 बार जांच बदलने के मामले में डजीपी को जांच के आदेश दिए हैं। यह अलग बात है यूपी केक्ळच् विजय कुमार ही सीबीसीआईडी के भी लंबे समय से डीजी हैं। पीड़ित परिवार गोंडा से लखनऊ पहुंचा तो सोमवार को मृतक रमई के बेटे राजकुमार का कहना है कि जांच अधिकारी आरोपियों से मिले हैं। आरोपी पैसे देकर जांच ट्रांसफर करा दे रहे हैं। जिन लोगों ने हमारी मदद की, पुलिस उन्हें भी आरोपी बनाकर फंसा रही है। 6 साल पहले 5 जून 2017 को गोंडा के तरबगंज थाना क्षेत्र के पकड़ी गांव में रह रहे रमई की गांव के ही दबंग राधेश्याम दुबे, विष्णु शंकर दुबे, मोहर अली और कलूट ने लाठी डंडों से पीट-पीट कर हत्या कर दी। हत्या के साथ-साथ एससी एसटी एक्ट में क्राइम नंबर 238/ 2017 पर चार आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज हुई। मामला दलित की हत्या का था। एससी एसटी एक्ट लगा, लिहाजा जांच सीओ मानकापुर विजय आनंद को दी गई। जैसे ही विवेचन बढ़ी, विजय आनंद का तबादला हो गया। फिर विवेचना सीओ तरबगंज ब्रह्म सिंह को दे दी गई। सीओ तरबगंज डेढ़ महीने ही जांच कर पाए थे कि तत्कालीन आईजी जोन गोरखपुर से शिकायत पर जांच बस्ती जिले में सीओ हरैया रहे सतीश चंद्र शुक्ला को दी गई। सतीश चंद्र शुक्ला छुट्टी पर चले गए तो उनकी जगह पर काम देख रहे गौरव त्रिपाठी ने लगभग 4 महीने इस मामले की जांच की और पर्चे काटे। लेकिन, अचानक जांच फिर बदली और बस्ती में ही सीओ कलवारी अरविंद कुमार वर्मा को जांच दी गई। अरविंद वर्मा के बाद जांच गैर जनपद बहराइच में सीओ नानपारा सुरेंद्र कुमार यादव, फिर सीओ सिटी विजय प्रकाश को जांच दी गई। 14 महीने के अंदर सात बार गोंडा, बस्ती और बहराइच के विवेचना अधिकारी बदले जाते रहे। फिर शासन स्तर पर 29 अगस्त 2018 को इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को दे दी गई। जांच सीबीसीआईडी ने शुरू की तो सीबीसीआईडी में भी जांच बदलने का दौर शुरू हो गया। कुछ ही महीने बाद सीओ सीबीसीआईडी प्रमोद कुमार से जांच डिप्टी एसपी आशापाल सिंह को, फिर एडिशनल एसपी अखिलेश्वर पांडे को, फिर एडिशनल एसपी राजेश कुमार भारती को, फिर गोरखपुर सेक्टर के एडिशनल एसपी डॉक्टर कृष्ण गोपाल को जांच दी जाती रही। कृष्ण गोपाल ने सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट लगाने की सिफारिश की और अपनी रिपोर्ट 31 मई 2022 को सीबीसीआईडी हेड क्वार्टर लखनऊ भी भेज दी। सीबीसीआईडी मुख्यालय से इस मामले की जांच अगले ही दिन यानी 1 जून 2022 को शासन भेजी गई। सीबीसीआईडी की रिपोर्ट के आधार पर 15 जुलाई 2022 को नामजद आरोपियों के खिलाफ एनबीडब्लयू से लेकर कुर्की की कार्रवाई शुरू की गई। लेकिन, जैसे ही नामजद आरोपियों के खिलाफ एनबीडब्लयू लिया गया, सीबीसीआईडी में 12वीं बार जांच बदल गई और इस बार जांच एडिशनल एसपी रचना मिश्रा को दे दी गई। 26 अगस्त 2022 से रचना मिश्रा ने जांच शुरू की तो जिला पुलिस से मिलकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। 10 फरवरी 2023 को गोंडा की एससी एसटी कोर्ट ने एनबीडब्लयू जारी कर कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी। जैसे ही कोर्ट ने एनबीडब्लयू जारी किया, रचना मिश्रा से भी यह जांच बदलकर दूसरे एडिशनल एसपी लल्लन प्रसाद को दे दी गई। इस बीच अगस्त 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार ने डीजी होमगार्ड रहे विजय कुमार को सीबीसीआईडी की कमान सौंप विजय कुमार को डीजी सीबीसीआईडी की अहम जिम्मेदारी दी। लल्लन प्रसाद कुछ महीने ही जांच कर पाए कि जांच प्रयागराज सीबीसीआईडी के सेक्टर प्रभारी समीर सौरभ को दे दी गई। जिला पुलिस और सीबीसीआईडी की कुल 14 बार जांच बदली गई। सभी जांच में रमई की हत्या के नामजद आरोपी रहे राधेश्याम दुबे, विष्णु शंकर दुबे, मोहर अली और कलूट के खिलाफ सबूत मिले। नतीजा सीबीसीआईडी ने आरोपियों के खिलाफ एनबीडब्लयू और कुर्की की कार्रवाई की। लेकिन, अब आरोप है कि प्रयागराज सीबीसीआईडी के सेक्टर प्रभारी समीर सौरभ ने पूरी जांच की दिशा बदल दी है। इस मामले में अब हत्याकांड के आरोपियों को क्लीन चिट दी जाने की तैयारी है। मृतक रमई की पत्नी सुंदर और उसके बेटों को बीते 6 साल में 14 बार जांच बदलने की जब जानकारी हुई तो पत्नी सुंदर पति की तरफ से प्रमुख सचिव गृह को इस मामले में शिकायत की। शिकायत की गई कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे बिना उनकी जानकारी के 14 बार इस केस की जांच बदलकर आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। इस शिकायत पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने 27 सितंबर 2023 को डीजी सीबीसीआईडी और मौजूदा समय में डीजीपी का काम देख रहे विजय कुमार को पत्र लिखकर साफ कहा कि बिना वादी की जानकारी के 14 बार जांच ट्रांसफर गंभीर मामला है। इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कर कार्रवाई की जाए।

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