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यूपी में खामोशी से प्रचार की रणनीति पर विपक्ष

बड़ी रैली के बजाय जनसभाओं और जनसंपर्क पर फोकस
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन श्इंडियाश् में शामिल दल खामोशी से प्रचार की रणनीति पर काम रहे हैं। बड़ी रैलियों के बजाय लोकसभा क्षेत्र के स्तर पर छोटी-छोटी सभाएं करने पर जोर है। हर चरण के चुनाव में एक-दो ही बड़ी रैलियां करने की योजना तैयार की जा रही है।पहले चरण के लिए मतदान 19 अप्रैल को होना है लेकिन अभी तक सपा और कांग्रेस ने अलग-अलग या संयुक्त रूप से एक भी रैली नहीं की है। सूत्रों की माने तो सपा मतदान से पहले बड़े पैमाने पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करना नहीं चाहती है। इसके पीछे की वजह है कि अपने मजबूत गढ़ों में भाजपा को सक्रियता बढ़ाने के लिए न उकसाया जाए।कांग्रेस में गांधी परिवार के एक नजदीकी नेता बताते हैं कि यूपी में पिछले चुनावों में बड़ी रैलियां कीं लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। इस बार प्रत्याशी खामोशी से चुनाव लड़ना चाहते हैं। क्षेत्र में जो भी उनकी मजबूत पॉकेट हैं, वे नहीं चाहते कि भाजपा उनमें सेंध लगा पाये। इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की रणनीति है कि उनके बेस वोट में जो भी अन्य मतदाता प्लस हो सकते हैं, उन पर बिना किसी शोरशराबे के फोकस हो।

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