Home > मध्य प्रदेश > थानेदार की शह पर हो रहा अतिक्रमण नगर निगम लाचार और मजबूर नगर निगम की मजबूरी पर भारी थानेदारों की थानेदारी

थानेदार की शह पर हो रहा अतिक्रमण नगर निगम लाचार और मजबूर नगर निगम की मजबूरी पर भारी थानेदारों की थानेदारी

थानाध्यक्ष तालकटोरा और बाजारखाला को नहीं मालूम कि क्षेत्र में कहां है अतिक्रमण
लखनऊ । छोटे ठेले वाले गुमटी वाले, बडे दुकानदार, रेस्टोरेन्ट वाले हो पौधे बेचने वाले, गमले बेचने वाले या बालू मौंरग वाले सभी के द्वारा सड़कों पर किया गया कब्जा और अतिक्रमण सभी को दिखायी देता है परन्तु क्षेत्र के थानेदारों को नही दिखायी देता है। थाना तालकटोरा के अन्र्तगत सी-ब्लाक में कोठारी बन्धु डबल रोड के बीच में किये गये अतिक्रमण को नगर निगम का प्रवर्तन दल समय समय पर हटा देता है परन्तु पुतिस की शह पर वे फिर से अपनी दुकानें आबाद कर लेते है। जगह-जगह पर रेस्टोरेन्ट वालों ने अपनी दुकानों के आगे कब्जा कर रखा है। सीमेन्ट बालू मौंरगं की दुकानों के आगे या फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है। सी-ब्लाक से ई-ब्लाक की रोड पर पेड-पौधे बेचने वालो का कब्जा है। बस स्टाप पर चाय पान और पंचर बनाने वालों का कब्जा है। नगर निगम इनसे स्थान खाली करवाता है परन्तु पुलिस फिर से बसा देती है। थानाध्यक्ष बाजारखाला को अपनंे क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण के बारे में नहीं मालूम है। उनके अनुसार कहीं भी अतिक्रमण नहीं है। जबकि थाना बाजारखाला के आस-पास ही यशादा गल्र्स कालेज के पास, मालवीय नगर में ही अनेक लोगों ने अतिक्रमण कर जगह को घेर रखा है। इसी क्षेत्र में सड़कों पर बालू मौरग के ढेर लगे है। बीच में डिवाइडर और किनारे दुकानदारों का अतिक्रमण, पैदल वालों के लिये स्थान ही नहीं बचता है। थाना बाजारखाला के अंर्तगत तालकटोरा रोड पर मिलएरिया पुलिस चैकी के आस-पास से बालाजी मन्दिर तक सजी आम की मण्डी के अतिक्रमण से सड़क पर चलना भी दूभर है। कुछ दिनों पहले बने नये बस स्टाप पर चैकी प्रभारी की कृपा से इन्ही आम वालों का कब्जा हो गया है। पूर्व में लखनऊ में तैनात जोनल अधिकारी संजय ममगई ने बताया कि हमारा काम शिकायत आने पर पुलिस के ही सहयोग से अतिक्रमण को हटाना है। परन्तु दुबारा कब्जे न होने पाये इसको रोकने का काम क्षेत्र के थानेदार का है। नगर निगम की मजबूरी है कि वह किसी स्थान पर रोज नही जा सकता है। यह देखना स्थानीय पुलिस का काम है। पुलिस अपना काम ईमानदारी से नही कर रही है। जाहिर सी बात है कि थानेदार की मर्जी के बिना कोई भी न तो दुकान लगा सकता है और न ही दुकानों के आगे कब्जा या अतिक्रमण कर सकता है सब अवैध वसूली का खेल है।

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