लखनऊ (सं)। जिलाधिकारी जी एस प्रियदर्शी ने निर्देश दिये कि जनपद में तालाबों की सं या ज्ञात की जाये और उनका नामकरण नहीं किया गया है तो उनका नामकरण किया जाये। साथ ही यह समीक्षा कर ली जाये कि विगत 5 वर्षो में किसी एजेन्सी द्वारा यह कार्य किया तो नहीं गया है। इसके अलावा किसी तालाब की गहराई 3 मीटर तक है तो उस पर कार्य करने की आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक तालाब पर एक बोर्ड लगाया जाये। उस बोर्ड पर ल बाई, चौड़ाई, गाटा सं या अंकित की जाये। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि बरसात का पानी नाले-नालियों द्वारा तालाब में मिल जाये, जिससे तालाबों में पानी की कमी न होने पाये। जिलाधिकारी बुधवार को कलक्टे्रट स्थित डॉ एपीजे अब्दुल सभागार में जल संरक्षण मिशन के अन्तर्गत मनरेगा योजनान्तर्गत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन फ्रेम वर्क की बैठक को स बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनपद में वित्तीय वर्ष 2017518 में जल संरक्षण मिशन के अन्तर्गत सभी विकास खण्डों में ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश शासन स्तर से निर्गत निर्देशों के अनुरूप आवश्यक शीघ्र कार्रवाई कर ली जाये। जिलाधिकारी ने कहा कि तीन प्रमुख कार्यक्रम महात्मा गांधी मनरेगा, प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना और समेकित वाटरशेड प्रबन्धन कार्यक्रम के उद्देश्य एक समान है। इन कार्यक्रमों व योजनाओं के अन्तर्गत किये जाने वाले समान कार्यो में जल संरक्षण और प्रबन्धन, जल संचयन, मृदा एवं आद्र्रता संरक्षण, भू-जल पुर्नभरण, बाढ से संरक्षण, भूमि विकास कमाण्ड एरिया डेवेलपमेन्ट और जल प्रबन्धन शामिल हैं। इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत इनके अपने आयोजन साधनों, प्रक्रियाओं, तकनीकी विशेषज्ञता और वित्तीय संसाधनों के उपयुक्त प्रयोग से जल संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास किये जाये। बैठक में डीएफ ओ मनोज कुमार सोनकर, जिला विकास अधिकारी पीके सिंह, उपायुक्त श्रम रोजगार राजमणि वर्मा, डीपीआरओ यूएस मिश्रा