लखनऊ। अब बाजारों में जल्दी ही हर्बल रंग से तैयार जलेबी भी मिलेगी। गेंदे के फूल से तैयार यह जलेबी स्वाद बढ़ाने के साथ ही सेहत भी निखारेगी। इस रंग में आयरन, कैल्शियम व मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व भी पाये गये हैं। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के निदेशक प्रो एसके बारिक के निर्देशन में संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डा. महेश पाल ने गेंदा के फूल से खाने योग्य पीला रंग तैयार किया है। इसके साथ ही कुछ अन्य फल व फूल से चाकलेटी व नीला रंग तैयार किया जा चुका है। पीले रंग में हैवी मेटल्स की जांच की जा चुकी है, जो निर्धारित सीमा में है। अभी तक ऐसे रंगों मे स्टैबिलिटी न होने की वजह से इसका इस्तेमाल नहीं हो पाता था। यह रंग अधिक तापमान पर भी टिका रहता है। इसे सामान्य तापमान पर लम्बे समय तक रखा जा सकता है। इस तकनीकी को जल्द से जल्द बाजार में लाने की गरज से संस्थान ने इसका प्रचार प्रसार की योजना बनायी है। इसी क्रम में हाल में ही आईआईए भवन में आयोजित फूड एक्सपो में एनबीआरआई ने इस टेक्नोलाजी की जानकारी दी। यहां यह बताते चलें कि अभी बाजार में उपलब्ध रंग सिन्थेटिंक हैं और उनमें हैवी मेटल्स होते हैं। ऐसे खतरनाक पीला, हरा, नीला, नारंगी, केसरिया व लाल रंग मिठाई, आइसक्रीम, टाफी व केक आदि में धड़ल्ले से मिलाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं एक विशेष मार्का रंग की सीमा दस किलोग्राम में दो ग्राम निधारित की गयी है। इसके विपरीत हलवाई बीस ग्राम तक मिला देते हैं। ऐसे सिन्थेटिक रंगों से तैयार खाद्य पदार्थों का लम्बे समय तक सेवन लोगों को कई रोगों का शिकार बना रहा है। यह किडनी व लीवर को नुकसान पहुंचाता है। यह कैंसरकारी भी होता है। वैज्ञानिकों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक रंग की मात्रा फूलों की वैरायटी व स्थान पर निर्भर करती है। सौ ग्राम सूखे गेंदा के फूलों से 161 मिलीग्राम से लेकर 611 मिलीग्राम तक रंग प्राप्त किया जा सकता है।