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सस्ती बिजली देने वाले सरकारी प्रोजेक्ट्स से थर्मल बैकिंग पर वर्कर्स फ्रंट ने जताई नाराजगी

प्रदेश सरकार की ऊर्जा नीति को बताया कारपोरेट हितैषी
लखनऊ | प्रदेश में जारी बिजली संकट और इनर्जी एक्सचेंज से बेहद महंगी दर से कारपोरेट बिजली कंपनियों से बिजली खरीदने के दरम्यान कल बेहद सस्ती बिजली देने वाले अनपरा तापीय परियोजना से 250 मेगावाट की थर्मल बैकिंग के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा इसका मकसद ऊर्जा नीति एवं समझौतों का हवाला देकर कारपोरेट बिजली कंपनियों को अरबों रुपये का मुनाफा पहुंचाने का है जोकि प्रदेश एवं राष्ट्र हित में कतई नहीं है। उन्होंने कहा कि दरअसल प्रदेश की ऊर्जा नीति और बिजली अधिनियम-2003 में जो प्रावधान हैं उसका मकसद ही ऊर्जा क्षेत्र में कारपोरेट सेक्टर को तरजीह देने का है जो और कुछ नहीं बल्कि पब्लिक सेक्टर के इंफ्रास्ट्रक्चर को कारपोरेट के अधीन करना और उसके हवाले करने का है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कारपोरेट बिजली कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट को अंजाम देने वाली नीतियों से ही आज प्रदेश समेत देश भर के सरकारी बिजली बोर्ड भारी घाटे में हैं और आम जनता को महंगी बिजली मिल रही है। अगर ऊर्जा क्षेत्र में पब्लिक सेक्टर को मजबूत बनाने की नीति अमल में लायी जाती तो आज कोयला व बिजली उत्पादन में देश आत्मनिर्भर होता और बिजली संकट न होता बल्कि जनता को सस्ती बिजली भी मुहैया होती। लेकिन इन नीतियों में बदलाव करने के बजाय मोदी सरकार बिजली अधिनियम-2021 को पारित करने के लिए आमादा है। जिससे न सिर्फ डिस्कॉम का संपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेट सेक्टर के अधीन/हवाले करने का मार्ग प्रशस्त होगा बल्कि बिजली की दरों में भी भारी इजाफा होगा।

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