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मजबूत इच्छाशक्ति से विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता पायी जा सकती है – राज्यपाल

लखनऊ| उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से आज राजभवन में विधि के प्रशिक्षु विद्यार्थियों ने भेंट की। प्रशिक्षु विद्यार्थी प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय से थे। राज्यपाल से भेंटवार्ता का कार्यक्रम उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा अधिकरण लखनऊ द्वारा आयोजित किया गया था। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री सुधीर कुमार सक्सेना, निबंधक श्री गौरी शंकर गुप्ता सहित अधिकरण के अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे। राज्यपाल ने प्रशिक्षु विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कानून के जानकारों को राजनीति में कानून का लाभ मिलता है। लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, पं0 जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद जैसे नेता पेशे से वकील थे। यह प्रसन्नता की बात है कि यहाँ उपस्थित प्रशिक्षु विद्यार्थियों में महिला-पुरूष की संख्या बराबर है। महिलायें पहले की अपेक्षा न्यायिक पेशे में अधिक आ रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं का न्यायिक क्षेत्र में बढ़ना महिला सशक्तीकरण का एक चित्र है जो वास्तव में सराहनीय है।   श्री नाईक ने कहा कि कानूनी पढ़ाई में किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान होना भी जरूरी है। विधि की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र वकालत का पेशा, न्यायिक अधिकारी बनकर या कारपोरेट क्षेत्र में अपना योगदान दे सकते हैं। विधि स्नातक इसी तरह विधिक शैक्षिक संस्थान तथा प्रशासनिक सेवाओं में भी प्रतिभाग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं में कारपोरेट क्षेत्र पहली पसंद है क्योंकि काम के निर्धारित समय के साथ-साथ कारपोरेट सेक्टर में आकर्षक वेतन भी प्राप्त होता है।
राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान और शिक्षा पूंजी के समान हैं जिनसे लाभ उठाकर विद्यार्थी अपना भविष्य स्वयं तय कर सकते हैं। स्वयं को स्थापित करने के लिये कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। कानून की पढ़ाई पूरी प्रतिबद्धता से करें। किसी भी समस्या को समझने के लिये कानून को जानना तथा तथ्यपूर्ण तर्क रखने की क्षमता का लाभ मिलता है। विश्लेषण करने की आदत डालें। उन्होंने कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति से विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता पायी जा सकती है।श्री नाईक ने विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के चार मंत्र बताते हुए कहा कि सफल भविष्य के लिये सदैव प्रसन्नचित रह कर मुस्कराते रहें। दूसरों के अच्छे गुण की प्रशंसा करें तथा अच्छे गुणों को आत्मसात करने की कोशिश करें। दूसरों को छोटा न दिखायें और हर काम को और बेहतर ढंग से करने का प्रयास करें। उन्होंने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक को उद्धृत करते हुये बताया कि जीवन में निरन्तर आगे बढ़ते रहने से सफलता प्राप्त होती है। राज्यपाल ने इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये कुछ सवालों के जवाब भी दिये

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