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राज्यपाल से मिला जम्मू कश्मीर से आया यात्रियों का दल

अपनी संस्कृति को जानने से देश के गौरव की पहचान होती है – राज्यपाल
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक से आज राजभवन में जम्मू कश्मीर से आये सेवा भारती संगठन के 65 सदस्यों के दल ने भेंट की। दल का नेतृत्व श्री जयदेव सिंह कर रहे थे। उत्तर प्रदेश के भ्रमण पर निकले इस दल के सभी सदस्य कश्मीर के रहने वाले हैं। दल में शामिल सभी 21 महिलायें मुस्लिम हैं तथा ज्यादातर पुरूष सदस्य भी मुस्लिम हैं। संगठन द्वारा ‘अहसास’ राष्ट्रीय एकता यात्रा का आयोजन देश के अन्य भागों के भ्रमण के लिए किया गया है। कार्यक्रम के अंतर्गत कश्मीर से आया दल 4 दिन के लखनऊ प्रवास पर है। सेवा भारती संगठन एकल विद्यालय के माध्यम से शिक्षा प्रदान करता हैं। संगठन द्वारा पूरे देश में बड़ी संख्या में एकल विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं जिनमें से 360 एकल विद्यालय केवल जम्मू कश्मीर राज्य में ही संचालित हो रहे हैं।
राज्यपाल ने कश्मीर से आये मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति में जब बच्चे का विद्यांरम्भ संस्कार होता है तो गणपति के नाम से शुभारम्भ किया जाता है, उसी तरह मुस्लिम परिवारों में कहा जाता है कि ‘अपने रब के नाम से शुरू करो’। भारत में विभिन्न धर्म, वेशभूषा एवं भाषा हैं लेकिन देश सबका एक है। संविधान द्वारा देश में सभी धर्मों को समान दर्जा दिया गया है। एकल विद्यालयों में महिलाओं की संख्या को देखकर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं को बराबर का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर काम करने से सबके विकास में भी संतुलन बना रहता है।
श्री नाईक ने अतिथियों को राज्यपाल के दायित्व, राजभवन और उत्तर प्रदेश के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा लखनऊ की विशेषता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विश्व के कई देशों से बड़ा है जिसकी आबादी 22 करोड़ से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश से 80 सांसद निर्वाचित होकर लोकसभा जाते हैं। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि मार्च 2017 में प्रदेश में नई सरकार का गठन हुआ तथा इसी माह दिसम्बर में शहरी निकाय के चुनाव सम्पन्न हुए जिसमें पहली बार लखनऊ के महापौर पद पर महिला श्रीमती संयुक्ता भाटिया निर्वाचित हुई।
राज्यपाल ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता समर में उत्तर प्रदेश ने अग्रणी भूमिका निभायी थी तथा लखनऊ का उसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लखनऊ को कला की नगरी बताते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली देश की राजनैतिक राजधानी है, मुंबई को आर्थिक राजधानी कहा जाता है, वाराणसी की पहचान सांस्कृतिक राजधानी की है। लखनऊ में अनेक ऐतिहासिक धरोहर जैसे इमामबाड़ा, रेजीडेन्सी, सेना द्वारा स्थापित स्मृतिका जहाँ उत्तर प्रदेश के परमवीर चक्र विजेताओं के भित्ति चित्र हैं, डाॅ0 आंबेडकर एवं बौद्ध धर्म से जुड़े पार्क आदि देखने योग्य हैं। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को जानने से देश के गौरव की पहचान होती है।
राज्यपाल ने अपनी तृतीय वार्षिक रिपोर्ट ‘राजभवन में राम नाईक 2016-17’ की प्रति भी भेंट की। उन्होंने कहा कि 1978 से जवाबदेही एवं पारदर्शिता के अंतर्गत वह हर वर्ष अपना कार्यवृत्त प्रकाशित कर रहे हैं जो आज भी निरन्तर जारी है। उन्होंने बताया कि उर्दू प्रदेश की दूसरी सरकारी भाषा है इसलिए राजभवन ने कार्यवृत्त का प्रकाशन उर्दू भाषा में भी किया है। राज्यपाल ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक के मर्म को समझाते हुए निरन्तर चलते रहने को ही जीवन में सफलता का आधार बताया। कश्मीर से आये दल ने राज्यपाल को कश्मीर से लाये गये कुछ विशेष उपहार भेंट किये। दल के सदस्यों ने राज्यपाल से भेंट के उपरान्त राजभवन का भ्रमण भी किया।

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