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आपराधिक मामलों में विवेचना कार्य को और अधिक प्रभावी,  विश्वसनीय एवं त्रुटिहीन बनाये जाने के मुख्य सचिव ने दिये निर्देश

लखनऊः प्रदेश के मुख्य सचिव श्री राहुल भटनागर ने आपराधिक मामलों में पुलिस की विवेचना के कार्य को और अधिक प्रभावी, विश्वसनीय एवं त्रुटि रहित  बनाने के प्रयास करने के निर्देश दिये है। शासन द्वारा इस संबंध में जारी निर्देशो के अनुपालन की नियमित रूप से समीक्षा करने का दायित्व अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध) को सौंपा गया है।
मुख्य सचिव नें विवेचना कार्यो में उच्चस्तरीय गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु उच्च न्यायालय द्वारा पारित किये गये आदेश 17 फरवरी, 2017 की प्रति पुलिस महानिदेशक को भेजते हुए उनका अक्षरशः कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये है। साथ ही शासन द्वारा यह भी कहा गया है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस संबंध में हुई कार्यवाही की प्रभावी समीक्षा प्रणाली विकसित करें ताकि नियमों व निर्देशों का सख्ती से सुनिश्चित किया जा सके। विवेचनाधिकारी द्वारा यदि निर्देशो के अनुपालन में किसी प्रकार की ढ़िलाई या जानबूझ कर शिथिलता पायी जायेगी तो उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही होगी।
शासन द्वारा जारी निर्देशो मे कहा गया है कि सभी विवेचनाधिकारी हर संभव प्रयास करेगें कि सूचना देने वाले व्यक्ति पीड़ित पक्ष, घायल या दूसरे महत्वपूर्ण गवाहों के बयान शीघ्र अतिशीघ्र दर्ज किये जायें और यदि ऐसा न हो सके तो अभियोग पंजीकृत होने के 24 घण्टे के भीतर अवश्य दर्ज किये जायें। प्रत्येक साक्षी के बयान देर से रिकार्ड किये जाने पर बयान के साथ अलग से स्पष्टीकरण प्रस्तुत किये जाने के लिए भी कहा गया है। जांच अधिकारी द्वारा घटनास्थल पर उपलब्ध हर सबूत को भी जल्द से जल्द और 24 घण्टे के भीतर यदि एकत्र नहीं किया जाता है तो इस सम्बन्ध में भी वह अपना स्पष्टीकरण देंगे। साइट से एकत्र की गई सभी प्रासंगिक सामग्री और सबूत विधि विज्ञान प्रयोगशाला को विशेषज्ञ सलाह के लिये भेजा जायेगा।  शासन द्वारा जारी निर्देशो में कहा गया है कि सूचनाकर्ता, पीड़ित अथवा गवाह के बयानों के पंजीकरण में विलम्ब को भी कम किया जायेगा। धारा 161 सीआरपीसी के तहत दर्ज कराये गये बयानों से मुकरने वाले अथवा पक्षद्रोही होने से बचने के लिये विवेचनाधिकारी द्वारा उनकी विश्वसनीयता को भी सुनिश्चित किया जायेगा। विवेचनाधिकारी एवं राज्य सरकार द्वारा बिना किसी विलम्ब के सूचनाकर्ता और सभी गवाहों से कहा जायेगा कि वह अपने साक्ष्य ईमेल, स्पीड पोस्ट, रजिस्टर्ड डाक पर शपथ पत्र के माध्यम से दे सकते है जो नोटरी द्वारा प्रमाणित होंगे। इनके सम्बन्ध में विवेचनाधिकारी द्वारा आवश्यकता पड़ने पर आगे पूछताछ भी की जा सकती है।
निर्देशों मे यह भी कहा गया है कि धारा 161 के तहत दर्ज किये गये बयान की काॅपी विवेचनाधिकारी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट देने वाले के साथ ही साथ गवाहों को दी जायेगी इस सूचना के साथ यदि उनके अपने दिये हुये बयान के साथ कोई आपत्ति या संशय है उसे तत्काल शीघ्रताशीघ्र विवेचनाधिकारी के संज्ञान मे लाया जायेगा। इस कार्य को एक सप्ताह के भीतर प्राथमिकता से करते हुए अपनी बात के पुष्ठि के लिये जरूरी प्रमाण सहित जानकारी दी जायेगी, जिसका उल्लेख विवेचनाधिकारी द्वारा जांच डायरी मे किया जायेगा।  जहां जरूरी हो वहां मोबाइल या लैण्डलाइन फोन पर की गयी कालों का विवरण भी एकत्र किया जायेगा, घटनास्थल के आस पास सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग भी ली जायेगी तथा आस पास संदिग्ध व्यक्तियों की फोन नम्बर या मोबाइल नम्बरो की सूची भी तैयार की जायेगी। यह कार्य बिना किसी विलम्ब या गैर वाजिव देर के किया जायेगा।  निर्देशों मे कहा गया है कि सभी मामलों मे विवेचनाधिकारी द्वारा सीआरपीसी के प्रविधानों तथा विवेचना कार्य संबंधी पुलिस एक्ट एवं रेगुलेशन मे दिये गये निर्देशों का सख्ती से पालन किया जायेगा।

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