लखनऊ | में मलिहाबाद के खड़ता गांव में मंगलवार सुबह अमरूद के पेड़ से प्रेमी युगल का शव लटकता देख हड़कंप मच गया। मौके पर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। सूचना पाकर पहुंचे दोनों के परिवारीजनों ने आनन-फानन शव उतरवाकर अंतिम संस्कार करा दिया। ग्रामीणों ने बताया कि दोनों को एक ही चिता पर मुखाग्नि दी गई। पुलिस को इस मामले की जानकारी तक नहीं मिल सकी। इंस्पेक्टर सियाराम वर्मा ने बताया कि काफी देर से जानकारी मिली थी। पुलिस को गांव भेजकर छानबीन कराई जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि स्व. अयोध्या प्रसाद के बड़े बेटे 22 वर्षीय गुन्नी का पड़ोस में ही रहने वाली दूसरी जाति की 18 वर्षीय युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन परिवारीजन इसके लिए तैयार नही हुए। परिवारीजनों ने जात-बिरादरी और मान-सम्मान का हवाला देते हुए दोनों पर एक-दूसरे से दूर रहने का दबाव भी बनाया। युवती का घर से निकलना बंद करा दिया गया। इसलिए साथ मरने का किया फैसला | कुछ दिन पहले ही युवती की शादी तय कर दी गई। मंगलवार को उसकी सगाई होनी थी लेकिन सोमवार रात वह चोरी-छिपे घर से निकलकर प्रेमी से मिली और दोनों ने एक साथ न रह पाने पर एक साथ मरने का फैसला किया। दोनों अमरूद के बाग पहुंचे और पेड़ से फंदा बनाकर लटक गए। मंगलवार सुबह टहलने निकलने लोगों ने दोनों के शव लटकते देखे तो होश उड़ गए। परिवारीजनों ने पोस्टमार्टम कराए बगैर दोनों का क्रियाकर्म करा दिया। जो परिवार और समाज प्रेमी युगल को जीते-जी मिलने नहीं दिया। जात-बिरादरी और मान-सम्मान का हवाला देकर एक-दूसरे से दूर रहने के लिए फटकार लगाते रहे, वे लोग ही प्रेमी युगल की मौत के बाद दोनों के लिए एक ही चिता बना रहे थे। सवाल यही है कि अगर उनकी नजर में जात-बिरादर, ऊंच-नीच और मान-सम्मान की बात जायज है तो फिर प्रेमी युगल की मौत के बाद यह सबकुछ बदल कैसे गया। अगर उन्हें साथ जीने की इजाजत मिल जाती तो उनके साथ मरने की नौबत ही नहीं आती।