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पत्रकारिता और आरटीआई का भय दिखाकर धनउगाही करने वाले महेंद्र अग्रवाल के खिलाफ थाना विभूतिखंड में मुकदमा दर्ज.

लखनऊ। मंगलवार, 19 अक्टूबर 2023 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित प्रिंस काम्प्लेक्स निवासी तथाकथित पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट महेंद्र अग्रवाल द्वारा अपने गैंग के साथ बीती 07 जून दोपहर बाद गोमतीनगर स्थित सूचना आयोग के बाहर 50000/- रुपये की रंगदारी मांगने और रुपये देने से मना करने पर झूंठे मामलों में फंसाने के साथ-साथ जान से मरवाने की धमकी के साथ गन्दी-गन्दी गाली देने के मामले में राज्य अल्पसंख्यक आयोग के दखल के बाद थाना विभूतिखंड में अभियुक्तों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो गई है।
गौरतलब है कि पीड़ित वरिष्ठ पत्रकार और नामचीन आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी ने इस बाबत भारत सरकार और प्रदेश सरकार के विभागों समेत पुलिस महकमे में सैकड़ों प्रार्थना पत्र ईमेल और सोशल मीडिया ट्विटर के माध्यम से दिए थे लेकिन इस मामले के अभियुक्तगणों की पूर्व सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट के साथ-साथ वर्तमान सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही और बर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह तक सीधे पंहुच होने के कारण ट्विटर पर यूपी पुलिस द्वारा लखनऊ पुलिस को निर्देश देने के बाद भी लखनऊ पुलिस मामले को महीनों ठन्डे बस्ते में डाले रही और अब 4 महीने से अधिक समय के बाद बीती 11 अक्टूबर को राज्य अल्पसंख्यक आयोग के निर्देश के बाद मुकदमा कायम हो सका है।
तनवीर ने महेंद्र अग्रवाल को इस आधार पर फ्रॉड और संदिग्ध व्यक्ति बताया है कि महेंद्र अपना आवासीय पता 326A,प्रिंस काम्प्लेक्स, हजरतगंज, लखनऊ बताता है जबकि प्रिंस काम्प्लेक्स में कोई भी आवासीय और रिहायशी हिस्सा नहीं है और इस प्रकार आपराधिक मानसिकता के तहत महेंद्र अग्रवाल द्वारा अपने आवासीय पते को जानबूझकर छुपाकर आपराधिक गतिविधियाँ की जा रही हैं।
बकौल तनवीर पत्रकार होने के नाते उनके संज्ञान में आया है कि महेंद्र अग्रवाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर गैंग बनाकर लोगों से धनउगाही को अपना पूर्णकालिक व्यवसाय बना लिया है.महेंद्र अग्रवाल और इसके साथियों ने जनसामान्य को आरटीआई, पत्रकारिता, एफ.आई.आर. कराने और फर्जी शिकायतों के नाम पर तरह-तरह से डरा धमका कर उनसे धन उगाही करने को अपना पेशा और कमाई का जरिया बना लिया है जिसके दम पर ये लोग कारों में घूमते हैं। आपराधिक मानसिकता का महेंद्र अग्रवाल इतना शातिर है कि अपने कार्यालय को ही आवासीय पते की तरह से प्रयोग करता है और रिहाइश की जगह को लोगों से छुपाकर रखता है जहां इसने बड़ी मात्रा में काला धन भी जमा कर रखा है। महेंद्र अग्रवाल की आय का कोई घोषित स्रोत नहीं है इसके बाबजूद इसके द्वारा कार इत्यादि मेन्टेन की जा रही है जिससे स्पष्ट है कि इसका गैरकानूनी आय का जरिया है.इसकी गतिविधियाँ काफी संदिग्ध और अवैध हैं जो शासन,प्रशासन और समाज के लिए काफी घातक हैं। महेंद्र अग्रवाल द्वारा बिगत वर्षों में की गई आरटीआई, पत्रकारिता, एफ.आई.आर. और शिकायतों की संयुक्त रूप से समीक्षा और गहन जांच कराने पर उपरोक्त आरोप स्वतः प्रमाणित हो जायेंगे. यही नहीं महेंद्र अग्रवाल का आपराधिक इतिहास भी है और इसके खिलाफ सीजेएम कस्टम लखनऊ अदालत से गैर जमानती वारंट जारी है.महेंद्र के अखबार कूटचक्र के फर्जीबाड़े और कूटरचना की एफआईआर भी हजरतगंज थाने में पूर्व में दर्ज है। तनवीर ने बताया कि उन्होंने विवेचक से कहा है कि वे सूचना आयोग और आस-पास के सीसीटीवी फुटेज,महेंद्र अग्रवाल की मोबाइल लोकेशन डिटेल को विवेचना में सम्मिलित करें. तनवीर जल्द ही अपना बयान दर्ज कराने के साथ-साथ अपने गवाहों के बयान भी विवेचक के समक्ष दर्ज करायेंगे।

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