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नुक्कड़ नाटक के जरिए फाइलेरिया के प्रति लोगों को किया जागरूक

सीफार के सहयोग से मोहनलगंज सीएचसी, भदेसुवा व हुलासखेड़ा गांवों में नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति
लखनऊ। विश्व नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) दिवस पर फाइलेरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा मोहनलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित भदेसुवा और हुलासखेड़ा गांवों में नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया I आकार फाउंडेशन के शाश्वत शुक्ला और उनके साथी कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को समझाया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जिसको हाथी पाँव भी कहते हैं। अगर सही समय से पहचान और उपचार हो जाए तो इलाज आसानी से हो सकता है। फाइलेरिया की दवा सरकार द्वारा सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के माध्यम से साल में एक बार खिलाई जाती है। पाँच साल तक दवा का सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके साथ ही मच्छर जनित बीमारियाँ मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से कैसे बचा जा सकता है इसके बारे में भी लोगों को जानकारी दी गई। नाटक के माध्यम से यह भी बताया कि यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है न कि किसी और वजह से इसका मच्छर रात में काटता है। इसलिए रात में मच्छरदानी लगाकर सोएं, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छररोधी क्रीम लगाएं। मच्छर गंदगी में पनपते हैं ऐसे में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। फाइलेरिया ग्रसित सुखराम ने नाटक देखने के बाद कहा कि हमारे दोनों पैरों में फाइलेरिया है। हमें तो पता ही नहीं था कि यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है। हम तो कुछ और ही समझते रहे। अब हमें सही जानकारी मिली है। हम स्वयं भी दवा खाने में आनाकानी नहीं करेंगे और साथ ही लोगों को दवा खाने की सलाह भी देंगे। भदेसुवा गाँव में नुक्कड़ नाटक के मंचन के दौरान फाइलेरिया ग्रसित नगमा बानो और सजीवन ने नाटक की सराहना करते हुए कहा – हमें इस नाटक से बहुत सी जानकारियाँ मिलीं । नगमा ने कहा – हमारे दायें हाथ में यह बीमारी है जिसके कारण सामान्य जीवन यापन करने में बहुत मुश्किलें आती हैं। इस मौके पर सीफार की प्रतिनिधि अमृता द्वारा लोगों को जागरूक किया गया कि दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को छोड़कर फाइलेरिया की दवा अन्य सभी को खानी है।

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