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मथुरा में रसखान की समाधि पर शुरू हुआ सांझी महोत्सव

सांझी हमारी समृद्ध संस्कृति और कला का प्रतीक-जयवीर
सांझी कलाकारों को कलाकृतियों को प्रस्तुत करने का सुनहरा अवसर
लखनऊ (यूएनएस)। मथुरा में ब्रज तीर्थ विकास परिषद,यूपी पर्यटन और जीएलए विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में रसखान समाधि स्थल पर आज से 14 अक्टूबर तक सांझी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में देशभर से आये कलाकारों द्वारा पोट्रेट, सांझी, जल सांझी और गोबर सांझी की रंग बिरंगी कलाकृतियों का निर्माण किया जायेगा। इस महोत्सव के माध्यम से चित्रकारों को अपनी प्रतिभा को दिखाने और निखारने का अवसर प्राप्त होगा। इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रस्तुतीकरण के लिए ओपन एयर थिएटर मंच का भी अवसर मिलेगा। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि आज चित्रकारों ने विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी सूखे रंगों की सांझी तैयार की। यह अष्टकोंण की वेदी पर तैयार की गयी है। यह आकृति देवालय एवं मंदिरों में उकेरी जाती है। इसे सांझी चित्रकार शशांक गोस्वामी, चित्रांग गोस्वामी, पुष्पांग गोस्वामी ने बनाया। छात्राएं कु. भावना दीक्षित, कु. मुस्कान प्रजापति, कु. यामिनी मिश्र, कु. प्राची मिश्रा, कु. गायत्री ने सूखे रंगों से कैनवास पर रासलीला का चित्रण किया। जयवीर सिंह ने बताया कि चित्रकार श्रीकृष्ण इंटर कालेज के कला शिक्षक अनिल सोनी ने सैंड कलर से रसखान का चित्रांकन किया। स्वतन्त्र चित्रकार खुशबू उपाध्याय सोनी ने लड्डू गोपाल का चित्रण किया। महोत्सव में अनेक कलाकार और चित्रकारों को सरकारी मंच पर प्रतिभा दिखाने का मौका मिल रहा है। समूचे रसखान समाधि प्रांगण में आकर्षक रंगोली भी सजायी जा रही हैं। स्कूली छात्र व छात्राओं द्वारा रंगोली सजायी जा रही है। सांझी के साथ सेल्फी लेने के लिए भी लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। श्री जयवीर सिंह ने बताया कि सांझी मेला में आज बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राओं तथा गुजरात के तीर्थ यात्रियों एवं स्थानीय तीर्थ यात्रियों ने मेले का आनन्द लिया। कृष्ण भगवान के मंदिरों की परंपरा में दर्शायी गयी चित्र परंपरा को जीवित रखने के लिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। सांझी हमारी समृद्ध संस्कृति और कला का प्रतीक है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम अपनी समृद्धि सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते हैं। पर्यटन मंत्री ने बताया कि मथुरा एक धार्मिक नगरी के साथ ही सांस्कृतिक नगरी भी है। देश-विदेश से पर्यटक एवं कलाकार विभिन्न पर्वों के अवसर पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। विभिन्न प्रदेशों के कलाकारों को इस मौके पर अपनी प्रतिभा का आदान-प्रदान करने का अवसर प्राप्त होता है। इससे सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलता है। प्रदेश का पर्यटन एवं संस्कृति विभाग कलाकारों तथा लोककलाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन के प्रति संकल्पित है। इन कलाओं को संरक्षित करके अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए समय-समय पर इसका आयोजन कराया जाता है। बुजुर्ग एवं निर्धन कलाकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है।

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