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लोकसभा चुनाव को लेकर सपा ने तेज की तैयारियां

लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा ने शुरू किया जनसंपर्क
लखनऊ,(यूएनएस)। लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की यूपी में 11 सीटों पर सहमति बनने के साथ ही सपा के कई चेहरों ने अपना होमवर्क शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने क्षेत्र में प्रचार भी तेज कर दिया है। जिससे चुनाव की घोषणा होने तक वे जनसंपर्क और संवाद का एक चरण पूरा कर लें। इसमें कुछ चेहरे को सपा मुखिया की भी मंजूरी मिल गई है। वहीं, कुछ ऐसे भी चेहरे हैं जिन्होंने पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के सामने अपनी दावेदारी रखी है। अखिलेश ने भले आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार घोषित न किए हों, लेकिन कई सीटों पर उन्होंने उम्मीदवारों को खड़ा करने के संकेत दे दिए है। सपा के सूत्रों की माने तो गठबंधन को लेकर बातचीत अलग-अलग स्तर पर जारी है। गठबंधन के दल अगर सीटें तय होने का इंतजार करेंगे तो बहुत देर हो जाएगी। इसलिए, नेताओं को अपनी तैयारी मुकम्मल करने के लिए कह दिया गया है। यूपी में समाजवादी पार्टी कम से कम 55 से 60 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इन सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों को लेकर मंथन का दौरा जारी है। लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा, फैजाबाद से अवधेश प्रसाद, खीरी से उत्कर्ष वर्मा, अकबरपुर से राजाराम पाल, बस्ती से रामप्रसाद चौधरी, गाजीपुर से अफजाल अंसारी, फर्रुखाबाद से नवल किशोर शाक्य, प्रतापगढ़ से एसपी सिंह पटेल, बांदा-चित्रकूट से बाल कुमार पटेल, पूर्व मंत्री शिवकुमार पटेल, श्रावस्ती से मसूद आलम खां और कुशल तिवारी भी पहले से तैयारियों में जुट गए हैं। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक बहुल सीटों को अपने पास रखने की ही रणनीति पर काम कर रही है। इसलिए, गठबंधन में शामिल दलों के मुस्लिम सीटों के दावों पर सपा नेतृत्व बिल्कुल सहमत नहीं है। रालोद के खाते में भी जो सीटें जाएंगी, वहां भी सपा की रणनीति रालोद के सिंबल पर अपना चेहरा उतारने की है। 2018 में कैराना लोकसभा उपचुनाव में भी पार्टी ने यही दांव खेला था। तब सपा की नेता तबस्सुम हसन रालोद के टिकट पर वहां चुनाव लड़ी और जीती थीं। 2019 में वह सपा उम्मीदवार बनीं, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई। इस बार यहां उनकी बेटी इकरा हसन की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। माना जा रहा है सीट आरएलडी के खाते में जाएगी, लेकिन उम्मीदवारी इकरा ही रहेंगी। सूत्रों का कहना है कि मुस्लिम सपा का कोर वोट है। कांग्रेस भी उसमें सेंधमारी में लगी है। इसलिए, पार्टी ऐसी कोई भी सीट दूसरे दल के लिए नहीं छोड़ना चाहती जिससे उसका वोट बैंक प्रभावित हो।

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