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के0जी0एम0यू में मनाई गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती

लखनऊ | किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेल्बी हॉल में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 102वीं जयंती के उपलक्ष्य पर श्एकात्म मानववाद एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य में अन्त्योदय की भूमिकाश्के विषय पर आधारित एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष मा0 ह्नदय नारायण दीक्षित ने किया। लोकसभा सांसद मा0 हुकुमदेव नारायण यादव बतौर मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए। इस अवसर पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के मा0 कुलपति प्रोफेसर एम0एल0बी0भट्टएवं आचार्य राजकरण सिंह भी मौजूद रहे।
इस अवसर पर मा0 कुलपति जी ने अपने प्रबोधन में महापुरूषों के जन्मदिवस एवं निर्वाण दिवस पर ऐसे आयोजन को नए राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के सिद्धांत एवं गरीबों के उत्थान के लिए बनाई गई योजनाएं ही एकात्म मानववाद का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की ही नहीं बल्कि गरीबी उन्मूलन की भी व्यवस्था है।
मा0 कुलपति ने कार्यक्रम में मौजूद छात्र-छात्राओं, प्रोफेसर एवं डॉक्टर्स से अपील करते हुए कहा कि हम सभी छोटे छोटे कार्यो के द्वारा भी अपने दायित्व का निर्वाहन करते हुए देश सेवा में भागीदार हो सकते हैं।
लोकसभा सांसद मा0 हुकुमदेव नारायण यादव इस अवसर पर पं0 दीनदयाल जी का स्मरण करते हुए कहा कि अन्त्योदय का अर्थ समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उदय करना है। उन्होंने कहा कि जिस तरह समतल भूमि न होने से फसल की पैदावार एक बराबर नहीं होती है, उसी प्रकार से समरस समाज के बिना राष्ट्र का विकास मुमकिन नहीं है।
उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान पर अपने विचार रखते हुए कहा कि स्वच्छ भारत अभियान सिर्फ बड़े शहरों के लिए ही नहीं है। हर घर में शौचालयों का निर्माण आवश्यक है, इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि एक भी व्यक्ति खुले में शौच के लिए न जाए। उन्होंने स्वस्थ्य रहने के लिए स्वच्छता को जरूरी बताते हुए कहा कि देश को गंदगी मुक्त करना ही सरकार और आमजन का लक्ष्य होना चाहिए, 75 फीसदी बीमारियों का इलाज स्वच्छता है। जिस दिन यह सफल हो गया, निरोग भारत, आरोग्य भारत का निर्माण होगा।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष मा0 ह्नदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी अपना जीवन स्वाभिमान से जीने का अधिकार है। समाज में आगे निकल चुके लोगों को पीछे रह गए लोगों को रास्ता सुलभ कराना चाहिए। कार्यक्रम के समापन में आयोजकों द्वारा उपस्थित अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया।

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