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जानकीपुरम में तैनात एलडीए जेई एसके सिंह करवा रहा अवैध निर्माणों, उपाध्यक्ष का आदेश बने सफेद हॉथी,स्थानान्तरित भृष्ट सुपरवाइजरों करते है अवैध निर्माणों से वसूली

 लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर तैनात होते ही अक्षत त्रिपाठी के द्वारा पदभार ग्रहण करते ही प्राधिकरण के समस्त अधिकारियों की एक विशेष बैठक आहूत कर प्राधिकरण प्रवर्तन अनुभाग के विभिन्न जोन क्षेत्रो मे हो रहे अवैध निर्माणों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देशो के बाद प्रवर्तन जोन 5 के जानकीपुरम क्षेत्र में तैनात अवर अभियंता एसके सिंह के द्वारा अवैध निर्माणों पर कार्यवाही करने के बजाए अवैध निर्माण कर्ता से दुरभि सन्धि करके बड़े पैमाने पर व्यवसायिक बहुमंजिला निर्माण खुलेआम करवाए जा रहे हैं।क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माणों के मामलों में जब पूछने पर अवैध निर्माणों के हिमायती वर्षों से तैनात दागदार अवर अभियंता एसके सिंह के द्वारा यह बताया जाता है कि बहुत बड़ा ईमानदार हूं और हो रहे अवैध निर्माणो को सील किया जा चुका है ,वही नाम और पहचान न बताते लोगों ने कहा कि उक्त अभियंता के द्वारा शील करने की धमकी देकर एक लाख से डेढ़ लाख रुपए प्रति स्लेप वसूली करने के साथ ही साथ ही ₹0 तीस हजार प्रति माह अवैध निर्माण कर्ताओ से पत्रकारों को देने नाम पर वसूली की जाती है।
जानकारी के अनुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण जोन 5 में तैनात अवैध निर्माणों के हिमायती अवर अभियंता एसके सिंह के संरक्षण के चलते वर्तमान में तैनात सुपरवाइजरो से कार्य न करवाकर पूर्व में स्थानांतरित हुए पुराने सुपरवाइजरो से अवैध निर्माण कर्ताओ से वसूली करवाई जाती है। वही वर्तमान सुपरवाइजरो से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। श्री सिंह के द्वारा निहित स्वार्थ की पूर्ति बड़े पैमाने पर की जा रही है,विदित हो कि श्री सिंह के द्वारा जोन 1तैनाती के दौरान अवैघ निर्माण के मामले को लेकर हटाते हुए एलडीए अधिकारिर्यो द्वारा प्रदेश शासम को पत्र भेजकर कड़ी कार्यवाही की मॉग की गयी। लेकिन श्री सिंह की ऊँची पहुंच के चलते शासन द्वारा कोॆई कार्यवाही नही की गयी,मामले मे जब जोन 5 के अधिषासी अभियंता केके बंसला से जानकीपुरम मे नहर मार्ग व अन्य स्थानों पर हो रहे दर्जनों अवैध निर्माण के मामले मे पूंछने पर बताया कि जॉच कर कार्यवाही की बात कहकर मामले को टाल दिया गया-? उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी जी की ईमानदारी व कार्य कुशलता पर संदेहात्मक स्थितियां उत्पन्न कर रहे हैं। आखिर दागदार अवर अभियंताओं को प्रवर्तन में एक ही जोन में बार बार तैनाती क्यों दी जा रही है ?

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