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जांच समिति ने कुलसचिव यू एस तोमर की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी

रंजीव ठाकुर
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक से न्यायमूर्ति एस0के0 त्रिपाठी (अवकाश प्राप्त) अध्यक्ष जांच समिति ने बुधवार को राजभवन में भेंट कर यू0एस0 तोमर पूर्व कुलसचिव डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ पर लगे आरोपों की जांच कर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर जांच समिति के सदस्य प्रो0 गुरदीप सिंह बाहरी कुलपति डाॅ0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ, सर्वेश चन्द्र मिश्रा सेवानिवृत्त आई0ए0एस0 तथा प्रस्तुतकर्ता अधिकारी प्रो0 एन0बी0 सिंह भी उपस्थित थे। राज्यपाल एवं कुलाधिपति अपने स्तर से जांच रिपोर्ट का अध्ययन करने के उपरान्त निर्णय लेंगे। ज्ञातव्य है कि 5 नवम्बर, 2015 को राज्यपाल द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने 23 नवम्बर, 2015 को यू0एस0 तोमर को कुलसचिव पद से निलम्बित किया था। तोमर के विरूद्ध जांच समिति को वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार आदि के आरोपों की जाँच करनी थी। जाँच के दायरे में तोमर की कुलसचिव पद पर नियुक्ति का मामला भी सम्मिलित था। तोमर पर निम्न आरोप थे कि (1) मा0 उच्चतम न्यायालय में संस्थित एस0एल0पी0 (सिविल 9048/2012 पाश्र्वनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट एवं अन्य बनाम ए0आई0सी0टी0ई0 एवं अन्य में पारित आदेश दिनांकित 13 दिसम्बर, 2012) जिसमें सम्बद्धता की अन्तिम तिथि 15 मई के बाद 44 कालेजों को जानबूझकर उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरूद्ध सम्बद्धता प्रदान किया जाना, (2) सत्र 2013-14 में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों को प्रवेश देने के समय माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में कुलसचिव, डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के द्वारा नियमों के विपरीत सम्बद्धता आदेश निर्गत करना, (3) शासन के पत्रांक: वी0आई0पी0-06/सोलह-1-2014 (रिट-39)/2014 में उद्धृत रिट याचिकाओं में कुलसचिव द्वारा पैरवी न किया जाना तथा जानबूझकर माननीय उच्चतम न्यायालय में प्रतिशपथ पत्र न दाखिल किया जाना, (4) सत्र 2014-15 में कुलसचिव, के रूप मे तोमर द्वारा अपने स्तर से अनाधिकृत बैंक खाता खोलकर एवं विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट से इतर किसी अन्य वेबसाइट को शुरू करते हुए संस्थाओं से आॅन-लाइन आवेदन प्राप्त किया जाना तथा अपनायी गयी प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अधिनियम/विनियमों का अनुपालन न किया जाना ।

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