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पहली बार उत्तर भारत में जलीय जीवों एवं नमभूमियों के संरक्षण हेतु कार्यशाला

लखनऊ | टर्टल सर्वाइवल एलायन्स इन्डिया (टी0एस0ए0), क्राल फाउन्डेशन एवं उत्तर प्रदेश वन एवं वन्यजीव विभाग ने पारिजात प्रेक्षागृह, वन विभाग, लखनऊ में एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य जलीय परितंत्र पर आश्रित समुदायों की निर्भरता को कम करने के लिये वैकल्पिक आजीविका विकसित करने के अवसरों व संभावनाओं की पहचान कर उन्हें लागू करना है। जलीय परितंत्र पृथ्वी के अत्यन्त विविध परितंत्र में से एक है जिसके अन्तर्गत झीलें, नदियां, तालाब धान के खेत आदि आते हैं तथा इस जलीय परितंत्र में जलीय जीवों का एक विशेष भूमिका होती है। किन्तु इन नमभूमियों का अवश्यकता से अधिक दोहन करने के कारण इन नमभूमियों की संख्या रामसर साइट के सर्वे के अनुसार सन 1900 से केवल 36 प्रतिशत ही रह गयी है। अतः इनके संरक्षण के लिये हमें इनसे जूडे़ विभिन्न पहलूओं पर भी ध्यान देने की अवश्यक्ता पड़ रही है। इस कार्यशाला का आयोजन डा0 रूपक डे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष(उत्तर प्रदेश) की निर्देशिता में किया गया। डा0 जी0 नारायण मूर्ती, प्रमुख वन संरक्षक – वन्यजीव समेत वन तथा वन्यजीव विभाग के अधिकारीगण ने इस कार्यशाला में प्रतिभगिता करके अपने अपने विचार रखे। वैकल्पिक जीविकोपार्जन के अन्य साधनो के बारे में राज्य एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे मे पशु, मछली एवं मुर्गी विभाग के अधिकारियों ने प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न गैर सरकारी संगठनों ने भी प्रतिभगिता की और देश में हो रहे विभिन्न संरक्षण में कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुये समुदायों की संरक्षण हेतु प्रतिभगिता की सफल उदाहरणों को प्रस्तुत किया।

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