लखनऊ। बख्शी का तालाब क्षेत्र में किसान रोक के बावजूद पराली जला रहे हैं। जहां पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होता है। गुरुवार शाम को इटौंजा क्षेत्र के किसान भारी मात्रा में किसान ने पराली जला दिया। आर्थिक दंड के बावजूद भी किसान पराली जला रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पराली जलाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन इसके बावजूद कुछ किसान अंजाने में पराली जला देते हैं। गुरुवार शाम को बख्शी का तालाब क्षेत्र के इटौंजा इलाके में किसानों ने बड़ी मात्रा में पराली जला दिया। क्षेत्र के ग्राम पंचायत नगर चौगावां का मजरा खेरिया और ग्राम पंचायत सरायदामू में किसानों ने बड़ी मात्रा में पराली जला रहे थे। जानकारी लेने पर खेरिया गांव में ग्रामीणों ने बताया कि यह खेत गांव के ही रहने वाले व्यक्ति का है। लगभग 10 बीघा खेत को पराली जला रहे हैं। वहीं सरायदामू गांव में जल रही पराली जलाने वाले का नहीं बताया। इस संबंध में प्रशासन मौन बैठा हुआ है। वहीं क्षेत्रीय लेखपाल भी अंजान है। इस संबंध में किसानों का कहना है कि आखिर किसान इस पराली का क्या करें। किसानों का कहना है कि लेखपाल को शिकायत मिलने पर मौके का मुआयना कर आर्थिक दंड लगा देता है। सरकार के इस प्रतिबंध से किसानों में रोष व्याप्त है। इस संबंध में किसानों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि इसी तरह चलता रहा तो धान और गेंहू की फसल छोड़कर कुछ अन्य फसलें पैदा करने पर मजबूर हो जायेंगे। जिससे देश को खाद्यान्न की भारी कमी की समस्या से जूझना पड़ सकता है। किसानों का कहना है कि सरकार किसानों से पराली खरीदे या फिर उन्हें पराली को जलाने की अनुमति दे।