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हाय-हाय ये चुनावी मजबूरी, भारत रत्न देना हो गया जरूरी : स्वामी प्रसाद मौर्य

लखनऊ। पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न का देने का ऐलान कर दिया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी है। वहीं साथ ही एमएस स्वामीनाथन जी को और पीवी नरसिंह्मा राव को भी भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। जिसको लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए भाजपा पर तंज कसा है। किसानों के मसीहा व पूर्व प्रधानमंत्री, चौधरी चरण सिंह, कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन व पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने हेतु सर्वथा उचित निर्णय है। भले ही 2024 की चुनावी मजबूरी में दिया गया हो, मैं इसका स्वागत करता हूं। यदि योग्यता, गरिमा व व्यक्तित्व के आधार पर ही सम्मान देना था, तो इसके पहले भी भाजपा की चार बार की सरकार में क्यों नहीं दिया गया? चुनावी चला-चली की बेला में क्यों?उधर, इसकी जानकारी जयंत चौधरी को लगा तो इतना खुश हुए कि ट्वीटर पर लिख दिया- दिल जीत लिया। जयंत सिंह के आरएलडी के बारे में चर्चा चल रही है कि वह जल्घ्द एनडीए गठबंधन में शामिल हो जाएगी। यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं। डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था। गौरतलब है कि लंबे समय आरएलडी के नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्घ्न देने की मांग कर रहे थे। चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री पद पर 28 जुलाई से 1979 से 14 जनवरी 1980 तक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। जाट परिवार में जन्म लेने वाले चौधरी चरण सिंह देश के स्घ्वतंत्र होने के बाद राजनीति में प्रवेश किया। वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आंदोलन में लग गए। स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने भी प्रतिभाग किया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफ्तार हुए और फिर अक्टूबर 1941 में रिहा किए गए।

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