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गोंडा लोकसभा सीटः दादा की पोती राजा की मुसीबत

बुजुर्गो के पैर छूकर बढ़ती आगे, कांटे की है एनडीए बनाम इंडिया की जंग
लखनऊ। अर्से से गोंडा संसदीय सीट की नुमाइंदगी रियासत व विरासत के बीच घूम रही है। इस बार भी ऐसा ही लग रहा है। गोनार्द की तपोभूमि और तुलसीदास की जन्मस्थली गोंडा का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। बेनी बाबू की पोती के सामने विरासत बचाने की चुनौती है तो भाजपा के सामने सीट पर काबिज रहने की। रियासत और विरासत की जंग बहुत रोमांचक हो गई है।पांचवे चरण के मतदान से पहले बीते बुधवार को 40 डिग्री तापमान में गठबंधन से सपा प्रत्याशी श्रेया वर्मा के नामांकन सभा में जमीनी स्तर पर इंडिया गठबंधन और पीडीए की एका साफ झलकी। लोग बोल रहे थे कि इस बार लड़ाई तगड़ी है। भाजपा सपा कांग्रेस गठबंधन को प्रस्तकर पाएगी या नतीजा चौकाने वाला आयेगा। बदलाव प्रकृति का नियम है और बेनी बाबू की पोती में कूबत तो है। बाकी मतदाताओं की मर्जी। गोंडा जिले की उतरौला, गौरा, मनकापुर और मेहनौन विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक दबदबा कायम रखने वाले राजघराने को तीसरी बार उम्मीदवार बनाये जाने से चुनाव दिलचस्प हो गया है। गोंडा में ब्राह्मण, ठाकुर, मुस्लिम व कुर्मी वोटरों का खास असर है। पक्ष-विपक्ष दोनों ही के अपने-अपने कोर वोटर के साथ समीकरण हैं। दलित वोटर यहां 2 लाख से अधिक हैं। इस लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीटों उतरौला, मेहनौन, गोंडा, मनकापुर सु. और गौरा पर भाजपा काबिज है। जीत की हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा ने फिर कीर्तिवर्धन सिंह पर दांव लगाया है। इंडिया गठबंधन से सपा उम्मीदवार श्रेया वर्मा सामने है। श्रेया वर्मा के दादा और पूर्व केंद्रीय इस्पात मंत्री स्व. बेनी प्रसाद वर्मा का गोंडा ,बाराबंकी ही नहीं पूरे सूबे के कुर्मी मतदाताओं पर गहरा असर रहा है। उन्होंने 2009 में यहां कीर्तिवर्धन सिंह को पटखनी दी थी। बेनी प्रसाद वर्मा की यादें यहां के जनमानस में जिस तरह से रची बसी है, उससे हवा का रुख बदल जाये तो चौकने की जरूरत नहीं।यहाँ के लोग बताते हैं कि बेनी बाबू ने चुनाव जीतने के बाद गोंडा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। केन्द्रीय इस्पात मंत्री रहते स्टील प्लांट की आधारशिला रखी। कई मुख्य मार्ग और सम्पर्क मार्गो का निर्माण कराया, जिस पर फर्राटे भरते वाहन विकास के गवाह हैं। उतरौला में आईटीआई, कुतुबगंज में निर्माणाधीन आईटीआई व सैकड़ों बच्चों को पढ़ने के लिए सोलर लालटेन, सैकड़ोंविद्यालयों को आर्थिक अनुदान उनकी देन हैं। बेनी बाबू के कराए विकास कार्य श्रेया की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। सपा प्रत्याशी श्रेया वर्मा को भाजपा प्रत्याशी कीर्तिवर्धन सिंह राजा भईया कड़ी चुनौती दे रहे हैं तो बसपा प्रत्याशी सौरभ कुमार मिश्रा भाजपा के ब्राह्मण वोटरों में सेंधमारी कर सकते हैं। गोण्डा संसदीय क्षेत्र में पिछड़े, दलित व मुस्लिम वोटर एकजुट हुए तो रिजल्ट कुछ हैरतअंगेज हो सकता है। श्रेया वर्मा मिलनसार हैं, घर घर मे घुसकर माताओ बहनों का स्नेह प्राप्त कर रही है। 18वीं लोकसभा चुनाव में विपक्षी पाटियों के धुरंधरों को ओबीसी, मुस्लिम व अन्य वोटो के सहारे धराशायी करने वाले बेनी बाबू की पौत्री श्रेया वर्मा कीर्तिवर्धन सिंह राजा भैया को कड़ी टक्कर दे रही है। राजा भैया तीसरी बार दिल्ली का सफर तय करने का दावा कर रहे है। देखना है कि भाजपा इंडिया गठबंधन को गच्चा दे पाएगी या फिर नतीजा कुछ नया और बड़ा होगा।खैर 20 मई को वोटर अपना फैसला सुनायेंगे और निर्वाचन आयोग 04 जून को मतगणना के बाद सर्टिफिकेट जारी करेंगे।

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