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ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने डायबिटीज की दवा की विश्वभर में होने वाले पहले लॉन्च की घोषणा की

लखनऊ (यूएनएस)। शोध पर आधारित वैश्विक एकीकृत दवा कंपनी, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (ग्लेनमार्क), ने आज भारत में अपने बिल्कुल नए, पेटेंट संरक्षित और वैश्विक रूप से शोधित सोडियम ग्लूकोज को-ट्रांसपोर्टर (एसजीएलटी2) इन्हिबिटर रेमोग्लिफ्लोजिन टैबोनेट (रेमोग्लिफ्लोजिन) के लॉन्च की घोषणा की। दवा वयस्कों में टाइप-2 डायबिटीज के उपचार में काम आती है। एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स बिल्कुल नई एंटी-डायबिटिक दवाएं हैं जो कि गुर्दे के समीप स्थनलिका मे ंएसजीएलटी 2 रिसेप्टर्स पर क्रिया करते हुए ग्लाइसेमिक नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करती हैं, जिससे गुर्दे में ग्लूकोज की पुनरू प्राप्ति रुक जाता है और मूत्र में ग्लूकोज के उत्सर्जन को बढ़ावा मिलता है। ग्लाइसेमिक नियंत्रण प्रदान करने के साथ, एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स वनज घटाने को प्रेरित करते हैं और हृदय संबंधी जोखिमों को कम करने में मदद करते हैं। ग्लेनमार्क दुनिया की पहली कंपनी है जिसने रेमोग्लिफ्लोजिन लॉन्च किया है और इस अभिनव दवा का उपयोग करने वाला पहला देश भारत है। ग्लेनमार्क ने भारत में रेमोग्लिफ्लोजिन को ब्रांड नाम रेमो और रेमोजेन के रूप में लॉन्च किया है। रेमोग्लिफ्लोजिन एकमात्र एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर है जो सक्रिय फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट (एपीआई) सेलेकर फॉर्मुलेशन तक भारत में ही निर्मित किया जाता है। कंपनी ने रेमोग्लिफ्लोजिन को 12.50 रुपये प्रति टैबलेट की कीमत पर लॉन्च किया है, जिसे दिन में दो बार लेना होता है। यह भारत में उपलब्ध एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स की तुलना में 50 प्रतिशत कम है। वर्तमान में, भारत में एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर की प्रतिदिन की चिकित्सा लागत लगभग 55 रुपये है, जबकि रेमोग्लिफ्लोजिन एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स पर डायबिटीज रोगियों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 11,000 रुपये की बचत प्रदान करता है। ग्लेनमार्क ने चरण-3 नैदानिक परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद रेमोग्लिफ्लोजिन टैबोनेट 100 मिली ग्राम के लिए रेग्युलेटरी अनुमति प्राप्त कर लिया है। इन परीक्षणों में रेमोग्लिफ्लोजिन ने डैपाग्लिफ्लोजिन के मुकाबले संपूर्ण तुलना में अच्छी प्रभावकारिता और सुरक्षा प्रोफाइल का प्रदर्शन किया। रेमोग्लिफ्लोजिन का विश्वस्तर पर 26 नैदानिक परीक्षणों में अध्ययन किया गया है, जिसमें विभिन्न जातीयताओं के लगभग 2,500 रोगी शामिल हैं। रेमोग्लिफ्लोजिन की खोज और विकास जापानी फर्म किसेई फार्मास्युटिकल कंपनी लिमिटेड ने किया गया था और बाद में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन पीएलसी और ग्लेनमार्क के सहयोगी बीएचवी फार्मा द्वारा विकसित किया गया,जो उत्तरी कैरोलिना,यूएसए में स्थित एवोलिन्टइंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। ग्लेनमार्क ने बीएचवी फार्मा के साथ लाइसेंसिंग सहयोग समझौते के माध्यम से रेमोग्लिफ्लोजिन को लेकर कुछ अधिकार हासिल किये और चरण-3 का नैदानिक परीक्षण किया,जिसमें किसी भी एसजीएलटी 2 इन्हिबटर के लिए किए गए परीक्षण में सबसे अधिक भारतीय रोगी शामिल थे।ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स के श्री आलोक मलिक, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, इंडिया फॉम्र्युुलेंशंस, क्रोनिक क्लस्टर ने बताया कि “विश्वस्तर पर,एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर टाइप-2 डायबिटीज की देखभाल के लिए पसंदीदा उपचार के रूप में उभर रहे हैं और ग्लेनमार्क को इस वर्ग में एक अभिनव अणु शामिल करने पर गर्व है, जो अत्याधुनिक है और बड़े पैमाने पर शोध किया गया है। ग्लेनमार्क अपेक्षाकृत कम लागत पर नवीनतम उपचार विकल्पों तक भारत में डायबिटीज रोगियों की पहुंच बनाने में अग्रणी रहा है और रेमोग्लिफ्लोजिन के लॉन्च के साथ, कंपनी का उद्देश्य एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स तक रोगियों की पहुंच बढ़ाना है क्योंकि ये दवाएं प्रभावी डायबिटीज प्रबंधन के लिए लाभकारी साबित हुई हैं।” 2015 में, ग्लेनमार्क ने अपने डाईपेप्टिहडिल पेप्टिशडेज-4 (डीपीपी4) इन्हिबिटर टेनिलिग्लिप्टिन को ऐसी कीमत पर लॉन्च करके डायबिटीज बाजार को बदल दिया, जो उस समय भारत में उपलब्ध अन्य डीपीपी 4 इन्हिबिटर्स की तुलना में लगभग 55 प्रतिशत कम थी। तबसे, डीपीपी 4 इनहिबिटर तक पहुंच काफी बढ़ी है और वर्तमान में देश में कई कंपनियों के टेनिलिग्लिप्टिन के 100 से अधिक ब्रांड उपलब्ध हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडेरेशंस डायबिटीज एटलस 2017 के अनुसार, भारत में लगभग 7 करोड़ 20 लाख वयस्कों के डायबिटीज से पीड़ित होने का अनुमान है।1 आईक्यूवीआईए के आंकड़ों के अनुसार, भारत का डायबिटीज बाजार एमएटी मार्च 2019 तक 11,413 करोड़ अनुमानित है। एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर्स का बाजार आकार एमएटी मार्च 2019 तक 574 करोड़ अनुमानित है।

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