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गंगा का प्रदूषण मापने के लिए वैज्ञानिक करेंगे ढाई हजार किमी की जलयात्रा

लखनऊ | गंगा नदी का प्रदूषण मापने के लिए वैज्ञानिक ढाई हजार किलोमीटर की जल यात्रा करेंगे। जल यात्रा करके भारतीय विश्व विज्ञान अनुसंधान यानी आईआईटीआर के वैज्ञानिक देवप्रयाग से गंगासागर तक का डाटा एकत्र करेंगे। इसके लिए वैज्ञानिकों के साथ जल, थल और वायु सेना के जवान ढाई हजार किलोमीटर तक का सफर तय करेंगे। इसके अंतर्गत नदी व उसके किनारे जैव विविधता पर अध्ययन किया जाएगा। साथ ही गंगा के पानी की निर्मलता की भी परख की जाएगी। वैज्ञानिकों द्वारा इस सफर की शुरुआत 10 अक्टूबर को देवप्रयाग से होगी जो 12 नवंबर को गंगा सागर के तट पर समाप्त होगी।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा परियोजना के तहत गंगा आमंत्रण अभियान की जिम्मेदारी वायुसेना के विंग कमांडर परमवीर सिंह को दी गई है। इसके लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हरी झंडी दिखा दी है। 3 राफ्ट, छोटी नाव पर सवार होकर 25 सदस्य दल अपने सफर की शुरुआत करेंगे। इसमें भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान व वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक सेना के तीनों अंगों की के जवान व स्वयंसेवी संस्था के सदस्य शामिल होंगे। गंगा के उद्गम से समुद्र में समागम तक शोध के लिए पहली बार इतनी लंबी यात्रा की जा रही है। इससे पहले विंग कमांडर परमवीर सिंह ने वर्ष 2013 में राफ्टिंग करके वर्ष 2015 में तैर कर यह सफर तय किया था। उनको सफर में गंगा के कई रूप देखने को मिले थे। विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं का सामना भी हुआ था। उनकी रिपोर्ट जब जल शक्ति मंत्रालय पहुंची तो वृहद स्तर पर इस अभियान की नींव पड़ी। अभियान में गंगा के किनारे रहने वाले लोगों को जागरूक किया जाएगा। उनको बताया जाएगा कि गंगा आपकी है इसकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी भी आपकी है। आईआईटीआर के वैज्ञानिक जगह-जगह गंगा का नमूना लेंगे। कहां पर गंगा का पानी कितना निर्मल है और कहां कितना प्रदूषण है। इस पर अध्ययन किया जाएगा साथ ही वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक विविधता पर शोध करेंगे। पूर्व में डाटा से मिलान करेंगे। समस्त रिपोर्ट जल शक्ति मंत्रालय को सौंप दी जाएगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय गंगा की निर्मलता के लिए योजना तैयार करेगा। आईआईटीआर के वैज्ञानिक जगह-जगह पर विज्ञान चौपाल भी लगाएंगे। वैज्ञानिकों के पास पानी के नमूने की मौके पर जांच करने के लिए बेसिक किट होगी। गंगा किनारे स्कूलों में पहुंचकर बच्चों के सामने पानी की जांच करेंगे और गंगा के महत्व के बारे में जानकारी देंगे।

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