Home > स्थानीय समाचार > 102 साल पुराना लखनऊ चिड़ियाघर कुकरैल में होगा शिफ्ट,

102 साल पुराना लखनऊ चिड़ियाघर कुकरैल में होगा शिफ्ट,

जानवरों को मिलेगा शांत वातावरण, यूपी सरकार ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को भेजा प्रस्ताव
लखनऊ। लखनऊ के चिड़ियाघर को शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यूपी सरकार ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव मंजूरी के बाद नए चिड़ियाघर पर काम होना शुरू होगा। कुकरैल में बनने वाले चिड़ियाघर लगभग 150 एकड़ में फैला होगा। 350 एकड़ में नाइट सफारी का भी निर्माण होगा। निर्माण होने के बाद पुराने चिड़ियाघर से 1000 से अधिक जानवरों को शिफ्ट किया जायेगा। सरकार ने यह पहल, ट्रैफिक व शोर शराबा को देखते हुए लिया है। नए चिड़ियाघर में जानवरों को शांत वातावरण मिलेगा। नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन को अब राज्य की राजधानी के बाहरी इलाके कुकरैल वन क्षेत्र में शिफ्ट किया जाएगा। यह नरही में अपने मौजूदा स्थान से लगभग 12 किलोमीटर दूर है। नई जगह पर चिड़ियाघर में वर्ल्ड क्लास नाइट सफारी भी होगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव का उद्देश्य जूलॉजिकल गार्डन की वजह से नरही क्षेत्र में लगने वाली भीड़ को कम करना है। कुकरैल नाइट सफारी की स्थापना से पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन व्यापार, खानपान, सजावट आदि में लगे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे। राज्य सरकार ने अभी तक नरही क्षेत्र में भूमि के उपयोग पर कोई फैसला नहीं लिया है, जहां से चिड़ियाघर को शिफ्ट किया जाएगा। मंत्रिपरिषद के अनुसार, लखनऊ के वन क्षेत्र के पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉकों को मिलाकर 2027.4 हेक्टेयर के घने वन के 350 एकड़ क्षेत्र में एक नाइट सफारी और 150 एकड़ क्षेत्र में जूलॉजिकल पार्क की स्थापना की जाएगी। सबसे पहले आपको लेकर चलते हैं नवाब वाजिब अली शाह जुलॉजिकल गार्डेन। इस उद्यान को कुकरैल में शिफ्ट किया जाएगा। यूपी के तत्कालीन गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स के लखनऊ आगमन को यादगार बनाने के अवध के दूसरे नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने बनारसी बाग को बदल कर 29 नवंबर, 1921 को प्रिंस ऑफ वेल्स जूलॉजिकल गार्डेन रखा था। बाद में अवध के नवाब वाजिद अली शाह का नाम इस उद्यान को मिला। कुकरैल संरक्षित वन की स्थापना 1978 में यूपी वन विभाग और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सहयोग से की गई थी। इस केंद्र की स्थापना का विचार 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थान प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय संघ की रिपोर्ट के बाद आया। उसमें कहा गया था कि यूपी की नदियों में मात्र 300 मगरमच्छ ही जीवित बचे हैं। मगरमच्छों के संरक्षण के लिए कुकरैल संरक्षित वन को विकसित किया गया है। आजकल यह एक पिकनिक स्पॉट के रूप में लोकप्रिय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *