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चिकित्सक की सलाह पर ही करें काढ़े का सेवन

लखनऊ। कोरोना से बचाव के लिए जरूरी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए लोग काढ़े का सेवन कर रहे हैं | चिकित्सकीय सलाह के बाद ही काढ़े का सेवन करना चाहिए, नहीं तो इससे शरीर को नुकसान भी हो सकता है |
राजकीय आयुर्वेदिक संस्थान और अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डा. मन्दीप जायसवाल बताते हैं- काढ़े का सेवन सामान्य तौर पर दिन में दो बार से ज्यादा नहीं करना चाहिए और एक उचित निर्दिष्ट मात्रा (अधिकतम 50-100 मि.ली. )में ही करना चाहिए | आजकल सोशल मीडिया में अलग-अलग तरह के काढ़े का सेवन करने की सलाह दी जा रही है, जिसको अपनाकर लोग दूसरी बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं | आयुर्वेद में काढ़े का सेवन करने की सलाह शरीर के बाहरी और अन्दुरुनी तापमान को देखकर ही दी जाती है | अलग –अलग मौसम में अलग –अलग तत्वों का उपयोग भिन्न-भिन्न मात्रा में किया जाता है | सर्दी के मौसम में अलग और गर्मी के मौसम में अलग | ऐसे तत्व जिनकी तासीर गर्म होती है उन्हें गर्मी में कम से कम उपयोग करने की सलाह दी जाती है | ऐसा ही ठंडी तासीर वाले तत्वों के साथ होता है |
ऐसे मरीज जिन्हें एसिडिटी या पेट में दर्द की दिक्कत आम तौर पर होती है उन्हें विशेष सावधानी के साथ ही काढ़े का सेवन करना चाहिए | वर्तमान परिदृश्य में गिलोय (1 भाग), मुलेठी (2 भाग), अर्जुन (1 भाग), अश्वगंधा (1 भाग ) , आमलकी (2 भाग), शुण्ठी (1 भाग) मिलाकर सभी या इनमे से जो भी उपलब्ध हो उसके काढ़े का सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्वाद एवं स्वास्थ्य वर्धन के लिए अंजीर, मुनक्का, मिश्री आदि भी मिश्रित कर सकते हैं।इससे अगर कोई दिक्कत आती है तो तुरंत सेवन बंद कर प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखाना चाहिए | स्वयं ही चिकित्सा न करें, इससे कोई अन्य समस्या पैदा हो सकती है | सामान्य अवस्था में भोज्य पदार्थो में सुपाच्य एवं पौष्टिक आहार, मौसमी हरी सब्जियों एवं फलों का सेवन करे। यदि ज्वर आदि से पीड़ित हों और पेट सही न हो तो जितना हो सके तरल एवं उष्ण पौष्टिक आहार लें जैसे कि सब्जियों तथा मूंग आदि दालों को मिलाकर बना सूप, पतली खिचड़ी, चावल का मांड आदि। ज्वर हेतु महासुदर्शन चूर्ण/क्वाथ अथवा घनवटि का भी सेवन लाभप्रद देखा गया है, किन्तु इसे चिकित्सक की सलाह पर ही लें |

डा. मन्दीप बताते हैं कि जन सामान्य के कोविड से बचाव में सुविधा के लिए सरकार द्वारा राजकीय आयुर्वेदिक संस्थान और अस्पताल के निदेशक प्रो. एस. एन. सिंह के निर्देशन एवं देखरेख में आयुष विभाग द्वारा आयुष कवच एप कार्य कर रहा है | इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा टेलीमेडिसिन की भी सुविधा प्रदान की जा रही है, जिसके द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य ही नहीं बल्कि राज्य से बाहर के भी मरीज अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए आयुष चिकित्सकों से बात कर लाभ प्राप्त कर रहे हैं ।
वर्तमान में कोरोना के लक्षणों में श्वसन तंत्र में कफ का जमना एवं हल्के ज्वर की समस्या विशेष रूप से पायी जा रही है, जिसमें सरकार द्वारा जारी निर्देशों के पालन के साथ साथ घर में ही रह रहे हल्के लक्षणों के रोगियों को अथवा ठीक हो चुके रोगियों में आयुर्वेद की औषधियाँ जैसे कि सितोपलादि चूर्ण, पिप्पली, वासा, अश्वगंधा, शतावरी, आमलकी, मुलेठी आदि के साथ साथ अन्य विशेष योग भी काफी लाभ प्रदान कर रहें हैं, जिसका उचित चिकित्सकीय सलाह से उपयोग करना चाहिए।

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