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क्षय रोग उन्मूलन में निजी चिकित्सकों की अहम् भूमिका

मरीजों मे नोटिफिकेशन से ही सही इलाज संभव
गैर सरकारी संस्थाएं भी अभियान को सफल बनाने में जुटीं
लखनऊ। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। क्षय उन्मूलन के लिए जहाँ सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं वहीँ इसमें स्वयंसेवी संगठन, निजी चिकित्सक भी अहम् भूमिका निभा रहे हैं। क्षय उन्मूलन में सबसे अहम् बात है क्षय रोगियों का नोटिफिकेशन। जब हम अधिक से अधिक क्षय रोगियों के बारे में जान पायेंगे तभी टीबी मुक्त समाज की स्थापना कर पाएंगे। इसी क्रम में क्षय उन्मूलन में निजी चिकित्सकों की भी मदद ली जा रही है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा.ए.के.चौधरी ने बताया- सरकार की मंशा लोगों को उनके घर के पास ही जांच और इलाज की सुविधा मुहैया कराना है। इसके तहत ही निजी चिकित्सकों को भी इस अभियान में शामिल किया गया है | वर्तमान में जिले में 344 निजी चिकित्सक सक्रिय रूप से क्षय रोग के मरीजों की जांच और इलाज कर रहे हैं और इन सभी का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराया गया है। डा. चौधरी ने बताया – क्षय रोगियों का इलाज करने पर प्रति रोगी निजी चिकित्सक को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। निजी चिकित्सकों द्वारा वर्ष 2020 में 8107 मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया। वर्तमान में 4806 मरीज निजी चिकित्सकों से इलाज करवा रहे हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया- निजी क्षेत्रों के सक्रिय सहयोग से भारत सरकार के जीत प्रोजेक्ट (ज्वाइंट अफर्ट फार इलिमिनेट टीबी) के तहत सभी आधुनिक जांच (सीबीनॉट/ट्रूनेट ), ड्रग सेंसिटिवटी टेस्ट तथा उपचार भी उपलब्ध कराया जा रहा है जिसकी मॉनिटरिंग के लिए जीत प्रोजेक्ट के अंतर्गत ऑपरेशन लीड अंजुला सचान एवं ट्रीटमेंट कोऑर्डिनेटर, फील्ड ऑफिसर तथा निजी चिकित्सालय से सैंपल ट्रांसपोर्टेशन आधुनिक लैब तक किए जाने के लिए एससीटी सक्रिय रुप से सहयोग करते हैं।
सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर अभय चन्द्र मित्रा ने बताया- निजी व सरकारी क्षेत्र में बेहतर समन्वय के लिए एनटीईपी कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद स्तर पर डिस्ट्रिक्ट पीपीएम कोऑर्डिनेटर द्वारा निजी चिकित्सालय, केमिस्ट लैब व जीत टीम से संपर्क व सहयोग किया जाता है।
दिलशाद हुसैन, डीपीसी ने बताया- क्षय रोग पूरी तरह से ठीक होने वाला रोग है | इसे छिपाना नहीं चाहिए क्योंकि और लोगों को अपने घर व आस पास कोई टीबी का संभावित रोगी है तो उसकी जांच नजदीकी स्वास्थ्य सुविधा पर जाकर कराएँ | इलाज व जांच चाहे वह सरकारी हो या निजी निःशुल्क किया जाता है। साथ ही इलाज भी बीच में नहीं छोड़ना चाहिये। इसके आलावा इलाज के दौरान बेहतर पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रूपये प्रतिमाह सीधे खाते में दिए जाते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय भटनागर ने कहा- क्षय रोग एक अधिसूचित बीमारी है जिसमें सजा का प्रावधान है। अतः किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए निजी चिकित्सकों को क्षय रोगियों की सूचना निक्षय पोर्टल पर या जिला क्षय रोग अधिकारी के कार्यालय में अवश्य देनी चाहिए।

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