राष्ट्रीय पोषण माह के तहत अन्नप्राशन दिवस मनाया गया
लखनऊ। छह माह से ऊपर के बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पूरक आहार के साथ स्तनपान बहुत ही जरूरी है। इसकी अहमियत माताओं और परिवार वालों को समझाने के लिए ही सामुदायिक गतिविधियों पर पूरा जोर दिया जा रहा है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही राष्ट्रीय पोषण माह के तहत ससपन, अलकापुरी, महुराखुर्द सहित जनपद के लगभग दो हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया।
प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी सीमांत श्रीवास्तव ने बताया कि धात्री माताओं में व्यापक स्तर पर जागरूकता लाने के लिए ही जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर मंगलवार और बुधवार को अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। उन्होंने बताया कि अन्नप्राशन दिवस समुदाय आधारित गतिविधि है | इस अवसर पर छह माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को खीर खिलाकर अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है। अन्नप्राशन का उद्देश्य बच्चे को छह माह की आयु पूरी होने के बाद पूरक या ऊपरी आहार देना होता है क्योंकि बच्चे के लिए माँ का दूध पूरा नहीं होता है। वह बढ़त की अवस्था में होता है। उसके सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अब माँ के दूध के साथ में ऊपरी आहार देना जरूरी है। यदि इसमें देरी हो जाती है तो बच्चा कुपोषित हो सकता है या उसके विकास में बाधा आ सकती है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी सुनीता राय बताती हैं कि छह माह की आयु पूरी कर बच्चों की माताओं, उनके अभिभावकों को यह बताया जाता है कि बच्चे को घर का बना हुआ ताजा पका खाना दें। बच्चे को संतुलित एवं पौष्टिक आहार का सेवन कराएं। इसमे अनाज, दूध या दूध से बने पदार्थ, हरी सब्जियां, फल आदि शामिल हों। जो भी खाना दें वह अच्छे से मसला हुआ हो ताकि बच्चा आसानी से निगल ले। इसके साथ ही धीरे-धीरे खाने की मात्रा बढ़ानी चाहिए। पहले बच्चा नहीं खाएगा या खाने में आना कानी करेगा लेकिन धीरे –धीरे वह खाने लगेगा। बच्चे को स्वयं से खाना खाने के लिए प्रेरित करें। बच्चे को चिप्स, चॉकलेट, बिस्किट खाने को न दें क्योंकि बच्चे का पेट छोटा होता है। उसका पेट इन्हीं चीजों से भर जाएगा और फिर वह भोजन नहीं कर पाएगा।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तारा शुक्ला ने बताया कि इस दिन छह माह की आयु पूरी कर चुकी हमना का अन्नप्राशन किया गया। उसकी माँ शाहीन बी को बताया कि अब बच्चे को स्तनपान के साथ में पूरक आहार देना है। बच्चे को मसली हुई दाल, चावल, सूजी का हलवा, सूजी की खीर, मसला हुआ केला, आलू, दलिया आदि देना चाहिए। भोजन में ऊपर से भुनी हुई मूंगफली, सहजन या तिल का चूरा भी डाल सकते हैं। भोजन को बहुत अधिक पतला नहीं करना चाहिए क्योंकि ज्यादा पानी से बच्चे का पेट तो भर जाएगा लेकिन पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाएंगे। दो साल तक बच्चे को ऊपरी आहार के साथ में स्तनपान जारी रखना है। बच्चे को खाने के लिए स्थानीय फल और सब्जियां भी दें। आंगनबाड़ी केंद्र से मिलने वाले पूरक आहार का सेवन बच्चे को जरूर कराएं।
हमना की माँ शाहीन बी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने उन्हें स्तनपान के साथ बच्ची को ऊपरी आहार का सेवन कराने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि खाना बनाने व बच्चे को खाना खिलाने से पहले हाथों को अच्छे से धोना चाहिए और जिस बर्तन में खाना बना रहे हों और जिस बर्तन में खिला रहे हों दोनों ही साफ होने चाहिए |बच्चे को पहले ऊपरी आहार दें उसके बाद स्तनपान कराएं।