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अनुपमा फाउण्डेशन द्वारा क्राफ्ट कॉरिडोर, इंदिरा नगर, लखनऊ में कार्यक्रम सुखं का आयोजन

अवध की आवाज़
लखनऊ। कार्यक्रम का प्रारम्भ अनुपमा सिंह अध्यक्षा अनुपमा फाउण्डेशन के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि इस देश में आधी आबादी महिलाओं की है इसलिये देश को पूरी तरह से शक्तिशाली बनाने के लिये महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। उनके उचित वृद्धि और विकास के लिये हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के उनके अधिकार को समझाना महिलाओं को अधिकार देना है। महिलाएँ राष्ट्र के भविष्य के रुप में एक बच्चे को जन्म देती है इसलिये बच्चों के विकास और वृद्धि के द्वारा राष्ट्र के उज्जवल भविष्य को बनाने में वो सबसे बेहतर तरीके से योगदान दे सकती है। महिला विरोधी पुरुष की मजबूर पीड़ित होने के बजाय उन्हें सशक्त होने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण घरेलू हिंसा में कमी लाता है । अशिक्षित महिलाओं को एक शिक्षित महिलाओं की तुलना में घरेलू हिंसा के लिए खतरा अधिक होता है । श्रीमती अनुपमा सिंह ने कहा कि अनुपमा फॉउन्डेशन विगत एक दशक से महिला जागरूकता, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की शिक्षा में कार्य कर रही है। हमारा उद्देश्य है कि समाज में महिलाओं को बराबर का अधिकार मिले और अगर किशोरवय से ही बालिकाओं में आत्मसम्मान की भावनाओं को जगाया जाये तो आगे चल कर वह समाज के लिये एक उदाहरण बन सकती है । उन्होंने कहा कि सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छुटकारा पाना है तो जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। कार्यक्रम में डॉ० निशि पांडेय, सुश्री चित्रा मोहन, डाॅ0 मालविका हरीओम, सुश्री दिव्या भट्टाचार्य, श्रीमती संध्या सिंह, श्रीमती श्रुति सिंह, श्रीमती विनीता मिश्रा,श्रीमती सरोज सिंह, डॉ० शोभा बाजपेई, सुश्री इशिता मिश्रा आदि अन्य गणमान्य महिलाएं उपस्थित थी । कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ० साबरा हबीब ने किया। कार्यक्रम में इस बात पर जोड़ दिया गया कि नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें। उन्होंने कहा कि देश, समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिये महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है। महिलाओं को स्वच्छ और उपयुक्त पर्यावरण की जरुरत है जिससे कि वो हर क्षेत्र में अपना खुद का फैसला ले सकें चाहे वो स्वयं, देश, परिवार या समाज किसी के लिये भी हो। देश को पूरी तरह से विकसित बनाने तथा विकास के लक्ष्य को पाने के लिये एक जरुरी हथियार के रुप में है महिला सशक्तिकरण। उन्होंने कहा कि आज महिला सशक्तिकरण 21 वीं सदी का एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है। लेकिन वास्तविकता में व्यावहारिक रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण अभी भी भ्रम है। हम रोजाना देखते हैं कि कैसे महिलायें विभिन्न सामाजिक बुराइयों से पीड़ित हैं। महिलाओं के संसाधनों के लिए और सामरिक जीवन विकल्प बनाने की क्षमता का विस्तार करना महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण साधन है। डॉ० निशि पाण्डेय ने कहा कि महिलायें तेजी से राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में भाग ले रहीं हैं। वे चिकित्सा विज्ञान , समाज सेवा , इंजीनियरिंग, सहित लगभग हर क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से राष्ट्र को गोरवांवित बना रही हैं। उन्होंने कहा कि अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिये महिलाओं को अधिकार देना ही महिला सशक्तिकरण है। परिवार और समाज की हदों को पीछे छोड़ने के द्वारा फैसले, अधिकार, विचार, दिमाग आदि सभी पहलुओं से महिलाओं को अधिकार देना उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिये है। समाज में सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों को लिये बराबरी में लाना होगा । उन्होंने कहा कि संघर्षों की रोकथाम और शांति की प्राप्ति तभी अधिक संभव होती है जब महिलाओं को बराबर के हकदार के तौर पर सम्मलित किया जाता है, यह साक्ष्य दर्शाते हैं। महिलायें एक शक्तिशाली अनूठा उपहार हैं । महिलायें विशेष रूप से आध्यात्मिक दुनिया और सांसारिक दुनिया दोनों में चलने के लायक हैं। वे ऊर्जा और परिवर्तन बनाने के लिए विशेष रूप से निपुण हैं। अंत में सुश्री दिव्या भट्टाचार्य ने आये हुए सभी गणमान्य लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़कियों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है।

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