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आरक्षित वर्ग के हितों के लिए केन्द्र सरकार कानून बनाएः रामनारायण साहू

 आरक्षित वर्ग के फैसले के बाद महासभा की बैठक में चिन्ता जताई गई
लखनऊ। आरक्षित वर्ग को आरक्षित वर्ग में नौकरी से वंचित करने सम्बंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के ठीक दूसरे दिन होने वाली भारतीय तैलिक साहू राठौर महासभा में यह मुद्दा जोर शोर से छाया रहा। गांधी भवन प्रेक्षागृह में आयोजित इस मासिक बैठक के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद एवं महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम नारायण साहू ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि केन्द्र सरकार इस मामले में अध्यादेश लाये और पुरानी व्यवस्था को जारी रखने के लोकसभा एवं राज्यसभा में इसे पास कराये। उन्होंने इस दौरान कहा किउच्चतम न्यायालय के जस्टिस आर भानुमति और जिस्टस ए.एम. खान विल्कर की पीठ के निर्णयानुसार अब आरक्षित वर्गाे को अनारक्षित वर्ग में नौकरी नहीं मिलेगी। न्यायालय ने निर्णय दिया है कि यदि एससी, एसटी या ओबीसी का कोई उम्मीदवार आरक्षित वर्ग में आवेदन करता है और उसकी कट ऑफ  मेरिट सामान्य वर्ग के बराबर या अधिक है तब भी यदि आवेदक उम्र छूट का लाभ लिया है तो उसे सामान्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जायेगा। बल्कि उसकी गिनती आरक्षित वर्ग के अन्दर ही की जायेगी।
भारतीय तैलिक साहू राठौर महासभा की बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री साहू ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से आरक्षित वर्गाे के आरक्षण पर चलने से सामान्य वर्ग को 50.5 प्रतिशत आरक्षण मिल गया है। जिससे आरक्षित वर्गाे का नुकसान होना अवश्यम्भावी है। न्यायालय के निर्णय से स्पष्ट हो गया कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था के तहत ओबीसी, एससी, एसटी को 49.5 प्रतिशत आरक्षण सीमा में ही कैद रहना होगा और अनारक्षित वर्गाे, सवर्ण जातियों को 50.5 प्रतिशत आरक्षण का हकदार बना दिया गया। उन्होंने केन्द्र सरकार से  इस मामले में पुनर्विचार याचिका एसएलपी दायर करने या ओबीसी को जनसंख्या अनुपात में आरक्षण  दिलाये जाने का अनुरोध किया है। उन्होने बताया कि  गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद आरक्षित वर्गाे विशेष कर ओबीसी की जातियों के आरक्षण पर खतरा मंडराता दिख रहा है। केन्द्रीय सेवाओं में ओबीसी को 27 प्रतिशत, एससी को 15 प्रतिशत तथा एसटी को 7.5 प्रतिशत यानि कुल 49.5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है तथा 50.5 प्रतिशत स्थान अनारक्षित है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को उनकी जनसंख्या के बराबर, अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था है परन्तु मंडल कमीशन 1978.80 के तहत देश के 52 प्रतिशत पिछड़े वर्ग को मात्र 27 प्रतिशत या उनकी जनसंख्या का आधा ही आरक्षण है।
देश के राज्यों में एससी, एसटी को जनसंख्यानुपाती आरक्षण दिया गया है। परन्तु अलग.अलग राज्यों में ओबीसी को अलग.अलग आरक्षण कोटा है।  मंडल कमीशन के सन्दर्भ में इन्दिरा साहनी बनाम भारत सरकार के निर्णय के बाद 1993 में ओबीसी को शिक्षण संस्थाओं व सरकारी सेवाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। 1999 में भाजपा सरकार द्वारा जाट, कुर्बा, बोक्कालीगा, लिंगायत, कोर्चा तथा 2002 में मोढ़ घॉची तथा बाद में और कई जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया गया। जिसके बाद ओबीसी् की जनसंख्या 60 प्रतिशत से अधिक हो गयी है। उन्होंने शाह बानों प्रकरण की तरह इस मामले में भी पहल करने का अनुरोध करते हुए केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों से ओबीसी् को एससी व एसटी की भांति जनसंख्या अनुपात में आरक्षण देने की मांग रखी। इस मासिक बैठक को महासभा के राष्ट्रीय प्रभारी जितेन्द्र माथुर ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आरक्षण मामले में सरकार को महासभा की मांग पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि महासभा का सदस्यता अभियान जारी रहेगा। शीघ्र ही राष्ट्रीय महाधिवेशन की घोषणा की जाएगी। बैठक को विन्देश्वरी साहू, अखिलेश कुमार साहू, पदमचन्द गुप्ता, अर्जुन साहू, गंगा प्रसाद साहू, संगीता साहू, विजय राठौर, श्रीमती सरिता साहू, श्रीराम साहू, राजू साहू, प्रेेमलाल साहू, तिजय साहू, गुलाब सिंह राठौर, मनोज साहू, सुश्री कंचनर राठौर, देवेन्द्र साहू, सेवा राम राठौर, शिवकुमार गुप्ता, जयप्रकाश साहू,श्रीमती ज्ञानमती राठौर, सुनीता साहू, आशोक कुमार गुप्ता, गंगा प्रसाद गुप्ता, राजेन्द्र राठौर, रमेशचंद गुप्ता, आशुतोष साहू, अंकित साहू, अर्चना साहू, राधेश्याम साहू,निधि राठौर, ओमप्रकाश साहू, रामजी साहू, शिवसागर आदि ने सम्बोधित किया। बैठक का संचालन एड. रमाशंकर तेली ने किया।

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