रंजीव ठाकुर
लखनऊ। राजधानी में गोखले मार्ग स्थित मध्यांचल लेसा विद्युत वितरण केंद्र के मुख्यालय पर विद्युत कर्मचारी एवं अभियंताओं ने सरकार और प्रबंधन के हठवादी एवं तानाशाही रवैये से क्षुब्ध होकर बुधवार को बुद्धि शुद्धि यज्ञ किया। अनेकों सांसदों व विधायकों को निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने ज्ञापन दिए और निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का प्रांतव्यापी नियमानुसार कार्य आंदोलन जारी रहा, इसी क्रम में हजारों की संख्या में कर्मचारी व अभियंताओ ने बिजली वितरण मुख्यालय पर ही अपनी मांगों को लेकर यज्ञ कार्यक्रम में खासा उत्साहवर्धन दिखाया ।
प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं के जारी निजीकरण विरोध प्रदर्शन में 30 मार्च से प्रारंभ हुए अभियान के अंतर्गत आज बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश भर में अनेक सांसदों और विधायकों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिया। कई सांसदों और विधायकों ने माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बिजली वितरण के निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की है । प्रदर्शन की इसी कड़ी में बिजली मजदूर यूनियन के महामंत्री सुहेल आबिद ने जानकारी देते हुये कहा निजीकरण को लेकर 5 जिलों में फ्रेंचाइजी दी जा रही है और 7 जिलों में सर्विस प्रोवाइडर बदलने को लेकर रणनीति बनाई गई है, जिसके लिये टेंडर भी डाल दिए गए है, जिसका विरोध उत्तर प्रदेश के सभी बिजलीकर्मी कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन का आज 17वां दिन है और 27 तारीख को कार्य बहिष्कार भी किया गया था। आज हम सब लोगों ने यहां एकत्र होकर यह निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रबंधन मैं बैठे हुए लोगों को ईश्वर सद्बुद्धि दें इसके लिए महायज्ञ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां की 22 करोड़ आवाम गरीब है पर निजीकरण वाले अपना स्वार्थ देख रहे हैं। इसी कड़ी में आगे कहा कि जहां-जहां निजीकरण या फ्रेंचाइजी है वहां बिजली 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट है और जिन शहरों में निजीकरण की बात की जा रही है वहां लाइव लाइन ज्यादा है और टोलरेट कम है और ये शहर लखनऊ, बनारस, गोरखपुर, मुरादाबाद, व मेरठ है इनमें से तीन शहर VIP हैं। लखनऊ गृहमंत्री का क्षेत्र, वाराणसी प्रधानमंत्री का क्षेत्र और गोरखपुर मुख्यमंत्री का क्षेत्र है, इन तीनों शहरों में बिजली सुरक्षा को लेकर काफी अच्छी व्यवस्था है। उन्होंने कहा ऊर्जा मंत्री का कहना है, विगत 1 वर्षों से बिजली व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे तहसील क्षेत्रों में 20 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली की पूर्ति पूर्ण रूप से हो रही है तो ऐसे में हम सब यह सवाल करते हैं कि बिजली व्यवस्था अच्छी होने पर भी इसे निजी घरानों में देने की तैयारी क्यों की जा रही है। निजी करण फैसले पर सरकार को गौर करना चाहिए इसी बात को लेकर सारा बिजली कर्मचारी यज्ञ कर रहा है कि भगवान उन्हें बुद्धि शुद्धि दे। इसी कड़ी में आगे 6 अप्रैल को साइकिल रैली और पूरे प्रदेश भर में मशाल जुलूस निकालने का कार्य बिजली कर्मचारी द्वारा किया जाएगा।