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धर्म, संत और भगवान से दूर होगा उसे शांति नहीः संत प्रमोद दास

लखनऊ । सरोजनीनगर में चल रही श्रीराम कथा के नवें दिवस रविवार को पूज्य संत प्रमोद दास जी महाराज ने कहा कि संत की बात न मानने से शांति खो जाती है। सीता हरण का वर्णन करते हुऐ कहा कि शांति को हरण करने वाले असुर तो दुनियां में मिलते ही है। लेकिन सबकी शांति का हरण नही होता। प्रभु यह सिखाना चाहते है कि जिसमें तीन दोष होगें उसकी शांति का अपहरण हो जायेगा। पहला दोष लीला में प्रभु दिखाते है कि देखो सीता जी ने श्रीराम को अपने से दूर हिरन के पीछे भेज दिया। जो अपने से भगवान को दूर कर देगा। उसकी शांति खो जायेगी। दूसरा दोष प्रभु दिखाते है कि कदाचित कोई भगवान से दूर हो। लेकिन यदि लखन रूपी सन्त के संरक्षण में रहे हो भी उसकी शांति को कोई अपहरण नही कर पाएगा। लेकिन सीता जी सन्त रूपी लक्ष्मण जी को भी अपने से दूर कर दिया। जो सन्त को अपने से दूर कर देगा उसकी शांति अवश्य खो जायेगी। तीसरा दोष प्रभु दिखाते है कि यदि किसी ने भगवंत और सन्त को अपने जीवन से कदाचित दूर कर दिया हो तब भी उसकी शांति खोने से बच सकती है यदि वह सन्त रूपी लक्ष्मण के द्वारा बनायी गयी रेखा के भीतर रहे।  सन्त रेखा का अभिप्राय है सन्त द्वारा स्थापित धर्म के भीतर रहें। लेकिन लीला में माता सीता जी उस रेखा का उलंघन किया। जैसे ही सन्त रेखा का उलंघन किया उनका अपहरण हो गया। उन्होंने कहा कि विश्व के लिए रामायण जी का संदेश है जो धर्म, सन्त और भगवान को अपने से दूर करेगा उसकी शान्ति अवश्य खो जायेगी। संतश्री कथा विस्तार करते हुए संक्षेप में प्रसंगों की व्याख्या करते हुए राम राज्य का वर्णन सुनाते हुए कथा को विश्राम दिया। उपस्थित भक्त समाज ‘मेरा तार हरि संग जोड़े ऐसा कोई संत मिले‘ भजन सुनकर भाव विभोर हो गया। व्यास पूजन अवधेश दीक्षित, रश्मि दीक्षित, ज्ञान चन्द्र दुबे, रंजना दुबे, एस पी सिंह, राजेंद्र मिश्रा ने किया। कथा में मुमुक्षु सेवा मिशन  के अध्यक्ष मिथलेश दीक्षित ने उपस्थित श्रोता समाज के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

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