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तीन तलाक पर जारी हुआ कोर्ट अॉफ कन्डक्ट, पढ़े तलाक देने के तरीके

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया फैसला
रंजीव ठाकुर
लखनऊ । राजधानी में रविवार को अॉल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कार्यकारिणी की अहम बैठक सम्पन्न हुई जिसमें तीन तलाक के मुद्दे पर बोर्ड ने कोर्ट अॉफ कन्डक्ट जारी किया । बोर्ड ने भारतीय मुसलमानों से उम्मीद जतातें हुए कहा कि तलाक के लिये शरीअते इस्लामी पर अमल करने को यकीनी बनायेंगे । निकाह एक स्थायी और पायेदार सम्बन्ध है लेकिन कभी आपसी विरोध इतना हो जाये कि साथ निभाना सम्भव न हो सके तो ऐसी दशा में एक दूसरे से अलग होना ही उचित होता है । इसके लिये इस्लामी शरीअत ने जो तरीका बताया है उसमें से एक तरीका तलाक भी है लेकिन तलाक देने से पहले आपस के सम्बंधों को ठीक व बेहतर बनाने के लिये हर सम्भव प्रयत्न करना चाहिए । तलाक के लिये मुसलमान निम्नलिखित निर्देशों पर अमल करे । मुसलमानों को तलाक देने के प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि पति पत्नी में विरोधाभास हो जाये तो एक दूसरे की कमियों को नजरंदाज करते हुए समझौता कर लिया जाये । यदि इस पर भी बात न बने तो आरज़ी (अस्थाई) तौर पर कता तआल्लुक (सम्बंध विच्छेद) किया जा सकता है । अगर उपरोक्त दोनों तरीकों से पति पत्नी के बीच बात नहीं बनती है तो दोनों खानदानों के समझदार लोग समझौता करवाने की कोशिश करे या दोनों पक्षों की तरफ से एक एक सालिस(निर्णायक) बना कर बाहमी विरोधाभास समाप्त करने का प्रयत्न किया जाये । यदि इसके बाद भी बात नहीं बनती है तो पत्नी को पाकी हालत में पति एक तलाक दे कर छोड़ दे और इद्दत के दिन गुजर जाने का इन्तजार करे । अगर इद्दत के दौरान दोनों में समझौता हो जाये तो पति सम्पर्क कर ले और दोनों पति पत्नी की तरह जिंदगी बसर करे । पर यदि इद्दत के दौरान पति ने सम्पर्क नहीं किया तथा समझौता नहीं हुआ तो इद्दत के बाद खुद ही रिश्ता निकाह खत्म हो जायेगा और दोनों नया जीवन शुरू करने के लिये स्वतंत्र और खुद मुख्तार होंगे । यदि पत्नी इद्दत के दौरान गर्भवती हो जाती है तो इद्दत की समय सीमा हमल खत्म होने तक रहेगी । तलाक देने की सूरत में पति को महर और इद्दत की अवधि का खर्च देने होगा और यदि मेहर बाकी हो तो वह भी फौरन अदा करना होगा । अगर इद्दत के बाद समझौता हो जाये तो आपसी रजामन्दी से नये मेहर के साथ दोनों नये निकाह के माध्यम से रिश्ते को बहाल कर सकते है । दूसरी सूरत ये कि पति पाकी हालत में एक तलाक दे फिर दूसरे महीने दूसरा तलाक और तीसरे महीने तीसरा तलाक दे । तीसरे तलाक से पहले अगर समझौता हो जाये तो पति सम्पर्क कर ले और पिछला सम्बंध निकाह बहाल कर ले । अगर पत्नी अपने पति के साथ रहना नहीं चाहती है तो वह खुला के द्वारा इस रिश्ते को समाप्त कर सकती है । मुस्लिम महिला को चाहिए कि जो शख्स एक साथ तीन तलाक दे उसका सामाजिक बहिष्कार करे जिससे कि ऐसे मामलों पर रोक लगाई जा सके ।

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