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स्तनपान सदा सर्वोत्तम, बच्चों के जीवन का रक्षक,शिशु को 6 माह तक कराएं स्तनपान स्तनपान से दस्त में 11 फीसदी व निमोनिया में 15 फीसदी की कमी संभव

1-7 अगस्त तक मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह स्तनपान सप्ताह की थीम होगी– “बेहतर आज और कल के लिए-माता पिता को जागरूक करें, स्तनपान को बढ़ावा दें”
लखनऊ | यह सभी जानते हैं कि माँ का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है तथा यह शिशु का मौलिक अधिकार भी है | माँ के दूध से शिशु का व्यापक मानसिक एवं शारीरिक विकास होता है | साथ ही यह शिशु को डायरिया एव निमोनिया से भी बचाता है | बच्चे के सर्वांगीण शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए स्तनपान महत्वपूर्ण है | इससे शिशु एवं बच्चे के जीवन पर अहम प्रभाव पड़ता है | साक्ष्यों की बात करे तो जन्म के पहले घंटे में स्तनपान न करने वाले शिशुओं में 33 प्रतिशत मृत्यु की सम्भावना अधिक रहती हैं | | 6 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर दस्त व निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 व 15 फीसदी की कमी लायी जा सकती है | लैंसेट की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि का विकास थोड़े समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की अपेक्षा अधिक होता | स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है |
उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने उपरोक्त सभी बिदुओं का जिक्र करते हुये प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र भेजा है कि प्रदेश में स्तनपान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “1 से सात अगस्त” तक हर जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाये | इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम है – “ बेहतर आज और कल के लिए-माता पिता को जागरूक करें, स्तनपान को बढ़ावा दें” | इस वर्ष की यह थीम इस बात पर ज़ोर देती है कि स्तनपान के लक्ष्यों को पाने के लिए माता -पिता दोनों का सहयोग और सशक्तिकरण किया जाना अनिवार्य है | स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अभिभावकों का सशक्तिकरण एक गतिविधि नहीं है बल्कि एक ऐसी ऐसी प्रक्रिया है जो प्रसवपूर्व जांच के समय से शुरू होती है और प्रसव के बाद तक जारी रहती है | इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता को प्रसव पूर्व जांच के दौरान और शिशु के जन्म के समय आवश्यक सहायता प्रदान की जाए | एक माँ अपने बच्चे को केवल तभी स्तनपान करा सकती है जब उसे एक उपयुक्त वातावरण, पिता , परिवार कार्यस्थल और समुदाय से आवश्यक सहयोग प्रदान हो | स्तनपान एक टीम प्रयास है और इसे सकारात्मक बनाने के लिए सभी को इसे बढ़ावा देना चाहिए | उसे संरक्षण और समर्थन प्रदान करना चाहिए |
पंकज का कुमार का कहना है कि वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा पोषण अभियान की शुरुआत कि गयी है | इस अभियान में भी स्तनपान व ऊपरी आहार को महत्वपूर्ण हस्तेक्षप के रूप में देखा गया है | स्तनपान व ऊपरी आहार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से माँ कार्यक्रम ( Maa- Mother’s Absolute Affection) की शुरुआत की गयी है | माँ कार्यक्रम का नारा है –“स्तनपान विकल्प नहीं, संकल्प है |” शिशु व बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए इन बातों का ख्याल रखेँ – 1. जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू किया जाये | 2. शिशु को केवल 6 माह तक स्तनपान कराया जाये | 3. शिशु के 6 माह पूरे होने पर पूरक पोषाहार देना शुरू करें तथा शिशु के 2 वर्ष पूरा होने तक स्तनपान जारी रखा जाये |
पत्र के अनुसार स्तनपान सप्ताह के दौरान निम्नलिखित बिन्दुओं पर चर्चा की जाए- 1. माँ के दूध में शिशु की आवश्यकतानुसार पानी होता है अतः 6 माह तक ऊपर से पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है | 2. धात्री माताओं को प्रसव के बाद स्तनपान के बारे में बताया जाये तथा यदि किसी वजह से बच्चे को माँ से दूर रखना भी पड़े तो उसे यह बताया जाये कि किस तरह से स्तनपान की निरंतरता बनाई रखी जाये | 3. स्तनपान से माँ व बच्चे में भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है इसलिए बच्चे को माँ के पास ज्यादा से ज्यादा रहना चाहिए | स्तनपान बच्चों को बुद्धिमान बनाता है व स्तनपान से बच्चा कुपोषण का शिकार नहीं हो पाता है | 4. शिशु को माँ के दूध के अलावा 6 माह तक कुछ भी नहीं दिया जाए जब तक कि चिकित्सक द्वारा सलाह न दी जाए | 5. नवजात शिशु को उसकी मांग के अनुसार स्तनपान कराया जाये यानि जितनी बार शिशु चाहे उसे उतनी बार स्तनपान कराए | 6. बच्चे को चुसनी, निप्पल अथवा चबने के लिए मुलायम खिलोने न दिये जाएँ |
क्या कहते हैं आंकड़े : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 1 घंटे के अंदर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.2 फीसदी है जो कि काफी कम है | अन्य प्रदेशों की तुलना में, उत्तर प्रदेश में 6 माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसदी है | राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार लखनऊ जिले में 1 घंटे के अंदर स्तनपान की दर अभी मात्र 22.3 फीसदी है जो कि काफी कम है | जनपद में 6 माह तक केवल स्तनपान की दर 47 फीसदी है |

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