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टीबी है खतरनाक, शरीर के जिस हिस्से में हो, सही इलाज न होने पर कर देती है बेकार: सीएमओ

रिपोर्टर संदीप

बलरामपुर। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. घनश्याम सिंह ने यह बातें गुरूवार को कार्यालय परिसर में सघन टीवी रोगी खोज अभियान जागरूकता वाहन को हरी झंड़ी दिखाकर रवाना करते हुए कहीं। ये जागरूकता प्रचार वाहन क्रमवार सभी ब्लाकों में जाकर लोगों को टीबी के बीमारी के प्रति जागरूक करेंगे। उन्होने कहा कि टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के आसार नजर आने पर जांच करानी चाहिए। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सजीवन लाल से बताया कि जिले में सघन टीवी रोगी खोज अभियान शुरू कर दिया गया है। 23 अक्टूबर तक जिले में अभियान के तहत 18 सेक्टरों में 89 टीमों का गठन किया गया है। प्रत्येक टीमें अभियान के 14 दिनों में करीब 600 घरों में दस्तक देंगी। अभियान में जिले की आबादी का 10 प्रतिशत 2 लाख 34 हजार 500 लोगों की जांच टीमों द्वारा की जाएगी। टीमें घर घर जाकर परिवार के हर सदस्य से बात कर टीबी रोगी की पहचान करेंगी और टीबी के लक्षण पाये जाने पर उसका तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा। भारत सरकार निःश्चय पोषण योजना के तहत टीबी कव सभी मरीजों को 500 रूपये भी देती है। कार्यक्रम के दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. अरूण वर्मा, जिला कार्यक्रम समन्वयक अविनाश विक्रम सिंह, सुमित साहू, गणेश चैरसिया, अजीत चैहान व सूर्यमणि त्रिपाठी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
-टीबी के लक्षण को ना करें नजरअंदाज
दो सप्ताह या इससे ज्यादा समय से खांसी आना, होने वाला बुखार शाम को बढ़ जाना, रात में पसीना आना, भूख ना लगना, वजन में लगातार गिरावट आना, खांसी के साथ खून आना, सीने में दर्द रहना टीबी के लक्षण हैं। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। लक्षण मिलने पर तुरंत नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर जांच करानी चाहिए। टीबी का पूरा व आधुनिक इलाज स्वास्थ्य केन्द्र पर निःशुल्क उपलब्ध है।
-जानें टीबी से बचाव के तरीके
2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे। मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें। मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। साथ ही एसी से परहेज करे। पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करे। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें। भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें। बच्चे के जन्म पर बीसीजी का टीका लगवाएं।

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