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कन्या भ्रूण हत्या व लिंग जांच करने वालों पर शिकंजा कसेगी ‘‘मुखबिर योजना’’

संदीप


बलरामपुर 23 दिसम्बर। कन्या भ्रूण हत्या या फिर उसकी जांच करने वालों की अब खैर नहीं। जिले में घटते हुए बाल लिंगानुपात को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने मुखबिर योजना तैयार की है, जो ऐसे केंद्रों की ना सिर्फ जानकारी देंगे बल्कि टीम में शामिल होकर रंगे हाथ उन्हे पकड़वाएंगे भी। योजना के अंतर्गत ऐसा कृत्य करने वालों पर शिकंजा भी कसा जाएगा। ‘‘डिक्वाॅय ऑपरेशन’’ के माध्यम से एक रणनीति बनाकर अवैध रूप से भ्रूण की लिंग जांच में लिप्त व्यक्तियों, संस्थाओं अथवा अल्ट्रासाउंड केंद्रों के खिलाफ जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर जानकारी देने वाले को हजारों रुपए प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए जाएंगें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह ने सोमवार को बताया कि जिले में 30 रजिस्टर्ड अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित है जिनकी समय-समय पर जांच की जाती रहती है। बाल लिंगानुपात कम होना चिंता का विषय है। जनपद में कहीं भी किसी भी केंद्र, संस्था अथवा व्यक्ति के द्वारा अवैध रूप से यदि भ्रूण की लिंग जांच की जा रही है तो इसकी सूचना मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी डा. कमाल अशरफ को दे सकते हैं। उन्होने बताया सरकार द्वारा अवैध लिंग जांच में लिप्त अपराधियों को पकड़ने के लिए जन सामान्य की सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मुखबिर योजना लागू की गई है। इसके अंतर्गत गुप्त तरीके से इस कार्य में लगे लोगों की सूचना देकर रंगे हाथों पकड़वाने के लिए एक मुखबिर, एक मिथ्या ग्राहक और एक सहायक की टीम बनाकर आॅपरेशन किया जाता है। यदि इसमें सफल होते हैं, तो मुखबिर को 60,000 रूपये, मिथ्या ग्राहक को 01 लाख और सहायक को 40,000 रुपए प्रोत्साहन के रूप में तीन किस्तों में दिए जाते हैं।
एसीएमओ व नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी डा. कमाल अशरफ का कहना है वर्तमान में जिले में 1000 लड़कों पर 968 लड़कियां हैं। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का कम होना कोई प्राकृतिक गतिविधि नहीं है, बल्कि लोगों द्वारा जानबूझकर किया जा रहा बुरा कृत्य हैं। ऐसा कृत्य करने वाले लोगों व संस्थाओं को जनता के सहयोग से पकड़कर न्यायालय के माध्यम से सजा दिलाई जानी चाहिए। जनसहभागिता के बिना मुखबिर योजना लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकती है।
-कन्या भ्रूण हत्या व गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए बना था पीसीपीएनडीटी एक्ट
जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी अरविंद मिश्रा ने बताया गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदानोपयोगी तंत्र अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए बनाया गया था, जिसमें वर्ष 2003 में संशोधन कर जुर्माना राशि को बढ़ाया गया। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। एक्ट के तहत जन्म से पूर्व लिंग की जांच पर पूरी तरह से पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले दम्पत्ति, जांच करने वाले डॉक्टर या लैब कर्मी पर 3 से 5 साल तक की सजा व 10 से 50,000 रूपये जुर्माने का प्रावधान है।
-मुखबिर योजना में शामिल होने के नियम
सूचना देने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए। प्रक्रिया से पूर्व, दौरान और पश्चात पहचान पूरी तरह से गुप्त रखने का प्रयास किया जाता है। किसी भी लिखित दस्तावेज में नाम और पहचान का उल्लेख नहीं किया जाता है। मुखबिर को एक विशेष कोड दिया जाएगा। डिक्वाॅय आॅपरेशन में गर्भवती महिला को मिथ्या ग्राहक के रूप में प्रयुक्त किया जाएगा। सूचना सही पाए जाने न्यायालय में साबित किए जाने योग्य सबूतों के आधार पर नियमित सुनवाई में उपस्थित रहने तथा न्यायालय द्वारा दंड आदेश पारित किए जाने पर तीन किस्तों में प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।

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