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समर्पण- कोरोना का कहर भी न कम कर सका गौसेवा का जज्बा

लॉगडाउन की परवाह फिर भी ना कम हुई गौ सेवा की चाह बीते बीस दिनों से गायों के पालन-पोषण में जुटे हैं,, अब्दुल अजीज

अजीजुद्दीन सिद्दीकी
मनकापुर गोंडा पैगम्बर-ए-इस्लाम ने अपने अनुयायियों को नसीहत दी थी कि बेजुबानों पर रहम करो। इसी तर्ज पर वजीरगंज के नगवा गांव के एक नवयुवक मुस्लिम ने बेजुबानों की मदद के लिए आगे आए हैं। वे अपने गांव में सन्नाटे के बीच भूखे-पियासे भटकते अंवारा पशुओं के पेट भर रहे हैं। लाकडाउन से इंसान ही नहीं खेतों व सड़कों पर विचरण करने वाले पशुओं के सामने भी खाने-पीने का संकट उत्पन्न हो गया है। नगवा गांव व उसकी सीमा में दो सौ से अधिक गायें ऐसी हैं जिन्हें कोई पालकर नहीं रखता है। हालांकि जब बाजार खुलता था और जनजीवन सामान्य था, तब इन गायों को रोटी, ब्रेड, बिस्किट आदि खाने को मिल जाता था। ठेलिया दुकानदार, रेस्टोरेंट, होटल आदि जगहों पर बनने वाली खाद्य सामग्री का जो हिस्सा बच जाता था वह इनके खाने के काम आता था। लाकडाउन ने इन बेजुबानों की जिंदगी में भी उथल-पुथल मचा दी है। भूखे होने की वजह से छटपटाते इधर-उधर चक्कर काटते व रंभाते देखे जा सकते हैं। यह देख नगवा के अब्दुल अजीज, व ढोढ़ियापारा प्रधान अंकुर सिंह व थाना प्रभारी वजीरगंज संजय कुमार दूबे ने इन बेजुबानों को भोजन कराने की पहल बीते बीस दिनों से शुरु की है। अब्दुल अजीज व अंकुर ने अपने घरों से हरी घास, रोटी व केला वहीं संजय कुमार दूबे प्रभारी निरीक्षक ने टिकरी जंगल के किनारे सड़क पर बंदरों को केला खिला रहे हैं। अब्दुल अजीज शोसल मीडिया पर अपील कर लोगों व शासन-प्रशासन का ध्यान इंसानों से जुड़े पशुओं की तरफ भी देने की अपील कर रहे हैं। धीरे-धीरे इनकी मुहिम का असर आसपास गांवों में पहुंच रहा है। इनकी देखा-देखी अन्य लोग भी कहीं बाल्टी टप में पानी रखकर पियास बुझा रहे हैं। तो कहीं चारा, बचा खाना आदि देकर पेट की आग बुझाने में मददगार बन रहे हैं। ताकि इस महामारी में बेजुबान भूखे न रहें।

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