संवाददाता
मोतीगंज। इस्लाम में रमजान का महीना बड़ा ही पावन माना जाता है। इस माह में रोजे रखने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखते हैं, कुरान पढ़ते हैं और रात में एक विशेष नमाज भी अदा करते हैं। आइए, आज जानते हैं, कब से शुरू हो रहा है यह पावन महीना और क्यों ये मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण माह होता है…..कब से शुरू हो रहा है रमजान का महीनाइस्लामिक धर्म के अनुसार इस साल अगर चांद का दीदार 23 अप्रैल को हो गया तो 24 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे। वहीं अगर चांद 24 अप्रैल को दिखा तो 25 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे। इस्लामिक धर्म के अनुसार 7 साल की उम्र के बाद व्यक्ति रोजे रख सकता है। इस्लामिक धर्म के अनुसार रोजे रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआओं को कुबूल करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है। रमजान के महीने में चांद के दीदार के बाद से ही नमाज पढ़ने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जिसे तरावीह कहा जाता है। चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है। सुबह सरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है। सहरी खाने के बाद ही रोजा रखा जाता है। शाम के समय सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है। इस्लामिक धर्म के अनुसार रोजे रखने का मतलब सिर्फ खाने, पीने की चीजों से दूर रहना ही नहीं होता है। रोजा रखने के बाद व्यक्ति को झूठ, गलत बोलना और सुनना भी नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि गलत चीजों को देखने और सुनने से भी रोजा रखने का फल नहीं मिलता है।