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महापर्व छठ पूजा में रख्खे खास साफ सफाई का ध्यान

मोतीगंज गोंडा । चार दिन तक चलने वाला आस्था का महापर्व छठ पूजा गुरुवार 31 अक्तूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो जाएगा। यानी लोग घर की साफ-सफाई करने और सात्विक भोजन करने के साथ ही छठ पूजा शुरू कर देंगे। यहां आप देख सकते हैं छठ पूजा के लिए क्या पूजा सामग्री लगती है और पूजा विधि क्या है। पूजा विधि :  टोकरी को धोकर उसमें ठेकुआ के अलावा नई फल सब्जियां भी रखी जाती हैं। जैसे कि केला, अनानास, सेबर्, सिंघाडा, मूली, अदरक पत्ते समेत, गन्ना, कच्ची हल्दी, नारियल आदि रखते हैं। सूर्य को अघ्र्य देते वक्त सारा प्रसाद सूप में रखते हैं। सूप में ही दीपक जलता है। लोटा से सूर्य को दूध, गंगाजल और साफ जल से फल प्रसाद के ऊपर चढ़ाते हुए अघ्र्य दिया जाता है। छठ में प्रसाद के रूप में बनने वाले ठेकुआ और चावल के लड्डू उसी चावल व गेहूं से बनेंगे, जो विशेष तौर से छठ के लिए धोए, सुखाए और पिसवाए जाते हैं। ध्यान रहे कि सुखाने के दौरान अनाज पर किसी का पैर न जाए। यहां तक कि कोई पक्षी भी चोंच न मार पाए, क्योंकि फिर उसे जूठा माना जाएगा और ऐसे गेहूं व चावल का इस्तेमाल वर्जित है।। छठ पूजा सामग्री की सूची 
’    प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी।
’    बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास।
’    नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा।
’    चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक।
’    पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो।
’    सुथनी और शकरकंदी।
’    हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा।
’    नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं।
’    शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी।
’    कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई।
इसके साथ ही ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, चावल का बना लड्डू, जिसे लडु़आ भी कहते हैं आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाएगा।
पंडित कन्हैयालाल शास्त्री

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