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जानिए कैसे रख्खा जाता है छठ पूजा का व्रत

राकेश कुमार सिंह
मोतीगंज गोंडा। सूर्य षष्ठी यानी छठ पूजा की रौनक इन दिनों बाजार में देख सकते हैं। डाला, सुप्ती, नींबू, नारियल, गन्ना, केला के घौद से बाजार रंग-बिरंगा हो रहा है। लोग षष्ठी माता और सूर्य नारायण को प्रसन्न करने की तैयारी में जुटे हैं। यह त्‍योहार पूरे परिवार के साथ धूमधाम से मनाया जाता है, इसलिए जो लोग नौकरी या व्‍यवसाय के सिलसिले में घर से दूर रहते हैं, वे अब छठ पूजा में घर जा रहे हैं या जाने की तैयारी में है। आइए आपको बताते हैं इस बार कब से शुरू है छठ पूजा और किस दिन क्‍या होगा… 1/4नहाय-खाय से होती है शुरुआत। कार्तिक शुक्ल षष्ठी से शुरू होने वाले 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि कई नामों से जाना जाता है। इसकी शुरुआत 31 अक्‍टूबर को नहाय खाय के साथ होगी। मान्यता है कि इस दिन व्रती स्नान आदि कर नए वस्त्र धारण करते हैं और शाकाहारी भोजन लेते हैं। व्रती के भोजन करने के पश्चात ही घर के बाकि सदस्य भोजन करते हैं।
दीपावली तिथि को लेकर उलझन, जानें छठ और दीपावली की सटीक तिथि। 2/4दूसरे दिन होता है खरना। दूसरे दिन यानी खरना के दिन से महिलाएं और पुरुष छठ का उपवास शुरू करते हैं, इन्हें छठ व्रती कहते हैं। इस बार खरना 1 नवंबर को है। इसी दिन शाम के समय प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद में चावल, दूध के पकवान, ठेकुआ (घी, आटे से बना प्रसाद) बनाया जाता है। साथ ही फल, सब्जियों से पूजा की जाती है। इस दिन गुड़ की खीर भी बनाई जाती है।3/4तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्‍य।। व छठ के तीसरे दिन शाम यानी सांझ के अर्घ्‍य वाले दिन शाम के पूजन की तैयारियां की जाती हैं। इस बार शाम का अर्घ्‍य 2 नवंबर को दिया जाएगा। छठ व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत करते हैं और शाम के पूजन की तैयारियां करते हैं। इस दिन नदी, तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
कब है करवा चौथ, क्‍या है सरगी, व्रत का महत्‍व और पूजाविधि।। 4/4चौथे दिन सम्‍पन्‍न होती है छठ पूजा।। छठ पूजा के चौथे दिन यानी सप्‍तमी को सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को दोहराया जाता है। विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा जाता है और इस तरह छठ पूजा संपन्न होती है। सप्‍तमी तिथि 3 नवंबर को है।
पंडित कन्हैयालाल शास्त्री

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