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गोण्डा जनपद में कोरोना के नाम पर मची लूट, प्रशासन द्वारा कोरान्टीन का मीनू नही किया जा रहा उजागर

दाल हुई नदारद मात्र सब्जी,चावल,पूड़ी खाकर गुजारा कर रहे कोरान्टीन में युवक

सुरेश कुमार तिवारी
कहोबा चौराहा गोण्डा। कोरोना महामारी के चलते जहां एक तरफ सरकार प्रवासी मजदूर एवं अन्य गरीब तबके की सहायता हेतु एड़ी-चोटी तक जोर लगा रही है वहीं दूसरी ओर सरकार के मंसूबे पर उनके ही अधिकारी-कर्मचारी पानी फेरते नजर आ रहे हैं। सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए कोरान्टीन सेण्टरों पर भरपूर सुविधा मुहैया कराने का दिशा निर्देश जारी कर रही है जबकि ज्यादातर सेण्टरों पर यह सुविधाएं मात्र कागजों में सिमट कर रह गयी हैं। गुरूवार को शहर से सटे स्वामी विवेकानन्द इण्टर कालेज के कोरान्टीन सेण्टर का कवरेज करने पर वहां मौजूद सफाईकर्मी आनन्द कुमार मिश्रा ने बताया कि कोरेन्टीन व्यक्तियों को दाल, चावल, पूड़ी-सब्जी दिया जाता है जबकि मौके पर भोजन वितरण होता देख पहुंचे मीडिया कर्मियों से मौजूद युवकों ने भोजन की थाल दिखाते हुए बताया कि हम लोग बुधवार को आए हैं शाम को भी दाल नही मिला था और आज सुबह भी दाल नही दिया जा रहा है तथा लोगों ने बताया कि हम लोगों को सरकार मंशानुरूप सुविधाएं नही दी जा रही है सभी को टोटी का पानी पिलाया जाता है। मौके पर उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान दुर्गेश यादव तैनात मिले जबकि सेण्टर इंचार्ज अशोक कुमार सिंह लेखपाल को शहीदे आजम सरदार भगत सिंह इण्टर कालेज में होना बताया गया। मामलेे पर सेण्टर इंचार्ज लेखपाल अशोक कुमार सिंह से जब दूरभाष पर बात की गयी तो उन्होने माना कि एक दिन दाल की व्यवस्था नही हो पायी थी साउण्ड की व्यवस्था न होना स्वीकार करते हुए कहा कि एक बार पानी का कैन आया था उसके बाद सप्लायर नही लाया। दूरभाष द्वारा जानकारी लेने पर सेण्टर इंचार्ज लेखपाल अशोक कुमार सिंह ने बताया कि एक दिन दाल की व्यवस्था नही हो पायी थी और साउण्ड की व्यवस्था नही है साथ में यह भी स्वीकार करते हुए बताया गया कि एक बार पानी का कैन आया था उसके बाद सप्लायर नही लाया। बताया जाता है कि जनपद बलरामपुर में जांच के दौरान आयुक्त देवीपाटन मण्डल महेन्द्र कुमार ने पूड़ी बनवाने पर एतराज जताते हुए कहा था कि पूड़ी में पौष्टिक तत्व नही है।
तत्पश्चात् मीडियाकर्मी विकास खण्ड झंझरी अंतर्गत रोहावां पंचायत भवन एवं सरकारी स्कूल पहुंचे यहां पर कोई व्यवस्था ही नही थी। कोरेन्टीन हुए 30-35 लोगों ने बताया कि खाना-पानी की बात तो छोड़ो यहां पर सफाई की भी व्यवस्था नही है। खुद साफ-सफाई करके लोग पंचायत भवन एवं सरकारी स्कूल में रह रहे हैं एक-दो लोगों ने अपने लिए टेण्ट की चारपाई मंगा रखी है। मौके पर डाक्टर कुलदीप सिंह पहुंचे उन्होने सभी को 14 से 21 दिन कोरेन्टीन रहने के लिए बोला। उक्त मामले पर ग्राम प्रधान से दूरभाष पर बात करने पर उन्होने बताया कि यह होमकोरोन्टीन है यहां पर शासन द्वारा कोई सहायता नही दी जाती है। कोरोन्टीन व्यक्तियों में से एक ने आयुक्त महेन्द्र कुमार को फोन किया और ग्राम प्रधान द्वारा कोई सहयोग न मिलने की बात कही यह सुनकर आयुक्त महोदय ने कहा कि प्रधान को तो आप लोगों ने ही चुना है। पूरे मामले पर एवं जनपद के कोरेन्टीन सेण्टर का मीनू जानने के लिए जब जिलाधिकारी को फोन लगाया गया तो हमेशा की तरह उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नही समझा। मीनू की जानकारी के लिए हमारे संवाददाता सूचना विभाग, आयुक्त कार्यालय व कण्ट्रोल रूम में बैठे मुख्य राजस्व अधिकारी से भी मिले तथा तहसीलदार के पास फोन किया परन्तु सभी ने जिलाधिकारी पर ठीकरा फोड़ते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया। जबकि डीएम साहब तो कभी भी मीडिया का फोन रिसीब करते ही नही। चर्चा तो यहां तक है कि जब देवी पाटन मंडल के अन्य जिलों में मीनू की सूची पारदर्शिता के साथ उजागर कर दिया गया तो मंडल मुख्यालय में कोरेन्टीन सेण्टर का मीनू उजागर न किए जाने से प्रशासन के कार्यशैली पर कई तरह की उंगलियां उठाई जा रही है।

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