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धनतेरस पर किया गया आयुर्वेद के भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की गई

सुरेश कुमार तिवारी
कहोबा चौराहा गोण्डा। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय पर मंगलवार को आयुर्वेद शिरोमणि भगवान धन्वन्तरि का विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गई। संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें लोगों को आयुर्वेद अपनाने का संकल्प दिलाया गया। मुख्य अतिथि क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी डॉ शिवाजी ने आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का रोपण किया। योग प्रशिक्षक ने सभी को नीम,गिलोय,तुलसी,एलोवेरा,हरसिंगार,निर्गुडी,आँवला सहित अन्य औषधि पौधों का वितरण किया।

मुख्य अतिथि ने कहा कि धरती को बचाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का रोपण संरक्षण और संवर्धन करना अति आवश्यक है। योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने बताया कि आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ ‘जीवन का विज्ञान है। यह स्वास्थ्य की एक ऐसी समग्र प्रणाली है जिसका प्राचीन काल से पालन किया जा रहा है। आयुर्वेद के अनुसार केवल बीमारियों या रोगों से मुक्ति ही स्वास्थ्य नहीं है बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की स्थिति है।
ओपी सिंह ने कहा कि आयुर्वेद को चिकित्सा की सबसे प्राचीन और प्रमाणित उपचार प्रणाली माना जाता है, जो आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक है। स्वस्थ या रोगग्रस्त व्यक्तियों के लिए आयुर्वेद का जो समग्र दृष्टिकोण है, उसकी किसी भी अन्य चिकित्सा विज्ञान से तुलना नहीं की जा सकती है। व्यक्ति को रोग से बचाना और स्वस्थ बनाए रखना आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य रहा है। इस दौरान डॉ.शिव प्रताप वर्मा,ओ.पी. सिंह,अखिलेश,दशरथ प्रसाद,परशुराम,रामरूप,ओम प्रकाश पांडेय,विनोद कुमार शुक्ला,राजेश कुमार दीक्षित,डॉ महेंद्र सिंह विष्णु, डॉ.मनजीत सिंह, डॉ.विनोद पाल,डॉ.आरती वर्मा,डॉ इंद्रजीत,डॉ रचना गुप्ता,डॉ अरुण वर्मा, दुर्गाप्रसाद मिश्रा रहे।

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