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अहिल्या उद्धार, गंगा तट आगमन तथा नगर दर्शन की लीलायें मंचित

सुरेश कुमार तिवारी
कहोबा चौराहा गोण्डा। सकरौरा की रामलीला में बीती रात अहिल्या उद्धार, गंगा तट आगमन तथा नगर दर्शन की लीलायें नवीनतम एवं आकर्षक ढंग से मंचित की गयी। विश्वामित्र के साथ जा रहे राम लक्ष्मण ने एक आश्रम में एक शिला देखकर विश्वामित्र से उसके बारे में पूछा तो उन्होंने गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या के शिला रूप होने की कथा का विशद वर्णन किया और आज्ञा दी “गौतम नारि श्राप वश उपल देह धरि धीर, चरण कमल रज चाहती कृपा करहु रघुवीर।” चरण रज के स्पर्श होते ही शिला अहिल्या के रूप में परिवर्तित हो गयी। अहिल्या ने प्रभु चरणों की वंदना करके पति लोक को प्रस्थान किया। यह दृश्य अत्यंत ही प्रभावपूर्ण रहा। इसके पश्चात वे तीनों गंगा तट पर पहुंचे जहां पंडा लोगों का समूह एकत्रित था। सभी भंग की तरंग में मौजें मना रहे थे और यात्रियों की बाट जो रहे थे। पंडाइनों का प्रहसन भी बहुत मनोरंजक रहा। भगवान राम लक्ष्मण और विश्वामित्र जी के आगमन पर सभी पंडागण अपने-अपने घाट पर स्नान करने का आग्रह करने लगे। विश्वामित्र ने शर्त रखी कि जो पंडा रघुवंश की वंशावली सुना देगा उसी के घाट पर स्नान किया जायेगा। तब एक पंडे ने बाल्मीकि रामायण में वर्णित श्रीराम की वंशावली निकाली और ब्रह्मा के पुत्र मरीच से प्रारंभ करके सूर्यवंश के सारे सम्राटों का वंश वृक्ष वर्णन करते हुए दशरथ पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न तक की वंशावली प्रस्तुत की। उसी के घाट पर स्नान करके वे आगे बढ़े। जनकपुर में राजा जनक ने मंत्रियों के साथ आकर उनका स्वागत किया और सुंदर सदन में विराजमान किया। लक्ष्मण की लालसा पूर्ति हेतु श्री राम ने गुरु से आज्ञा प्राप्त कर उन्हें नगर दर्शन कराने ले गये। उन्हें देखकर महिलायें में अपने भावों को प्रकट करने लगीं। कोई उनके रूप की तुलना ब्रह्मा, शिव, इन्द्र, कामदेव से करने लगी तो किसी ने उनसे भी श्रेष्ठ बताया। किसी ने जिज्ञासा प्रकट की कि यदि जनक नंदिनी से इनका विवाह हो जाये तो अति सुंदर हो। नगर के अनेक बालक आकर उनका परिचय प्राप्त करके उनको नगर भ्रमण कराने ले गये तथा मिथिला के मुख्य मुख्य मनोरम स्थानों को दिखाने लगे। हाट में दुकानदारों द्वारा प्रस्तुत किया गया प्रहसन भी काफी मनोरंजक रहा। नगर भ्रमण के उपरान्त राम और लक्ष्मण गुरुदेव के पास वापस आ गये और यहीं पर लीला ने विश्राम लिया। इस लीला में राम और लक्ष्मण के रूप में आशुतोष दुबे व शिवम दुबे का अभिनय काफी प्रशंसनीय रहा। भोला सोनी, शचीन्द्र नाथ मिश्र, राजू सोनी, हर्षित मिश्र, कृष्णा सोनी, संतोष गौतम, राजेश गौतम आदि के अभिनय सराहे गये। लीला का संचालन पन्नालाल सोनी ने एवं पात्रों का श्रृंगार रीतेश सोनी उर्फ बड़े तथा उनके सुपुत्र आयुष सोनी ने किया।

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