रंजीव ठाकुर
लखनऊ । हमेशा आतंकवाद के शिकार मुस्लिम युवकों की पैरवी करने वाले रिहाई मंच ने बुधवार को राजधानी में मारे गए आतंकवादी सैफुल्लाह खान की पहचान वाले कानपुर निवासी मोहम्मद आतिफ को यूपी एटीएस तथा एनआईए द्वारा पूछताछ के नाम पर बार-बार परेशान किए जाने को लेकर प्रेस क्लब में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया ।
कानपुर के जाजमऊ निवासी मोहम्मद आतिफ ने बताया कि उसका मारे गए आतंकवादी सैफुल्ला खान से कोई संबंध नहीं था । वह सैफुल्लाह खान के चाचा के बेटे अनस से दोस्ती रखता था और कानपुर में ही सैफुल्लाह के साथ 1 महीने उसने कोचिंग भी पढ़ी थी । उसने कहा कि मैं आम फौरी तौर पर सैफुल्लाह को जानता था परंतु आतंकवादी सैफुल्लाह से मेरी कोई जान पहचान नहीं थी। आतिफ ने कहा कि सैफुल्लाह के एनकाउंटर के बाद पुलिस, एसटीएफ और एनआईए उसे पूछताछ के लिए अब तक पांच से छह बार बुला चुकी है और उस पर दबाव बना रही है कि वह सरकारी गवाह बन जाए और आतंकवादियों को हथियार सप्लाई करने की बाद कबूल कर ले । आतिफ ने कहा कि उस समय उसकी पत्नी गर्भवती थी तब भी पुलिस और एटीएस उसे परेशान करती रही और बार-बार उसे पूछताछ के लिए बुलाया जाता रहा । पूछताछ के दौरान आतिफ के गले और पैर पर पुलिस प्रहार करती थी और उससे कई तरीके के कागजों पर साइन करवा लिया जाता था । इसके साथ ही यूपी एटीएस ने आतिफ के फेसबुक अकाउंट, आधार कार्ड वगैरह के पासवर्ड इत्यादि ले लिए थे । कानपुर में रहकर कढाई का काम करते हुए लगभग 18000 रुपए हर महीने कमाने वाले मोहम्मद आतिफ ने कहा कि मैं और मेरा परिवार जांच एजेंसियों की रोज पूछताछ से काफी घबराए हुए हैं तथा हमें ये डर लग रहा है कि कहीं पुलिस हमे गिरफ्तार कर आतंकवाद का या देशद्रोही न बना दें। पत्रकारों से बात करते हुए आतिफ ने कहा कि जांच एजेंसियों से हम सब काफी घबरा गए हैं और इसके कारण मेरा कढ़ाई का कारोबार भी छूट गया है जिससे हम आर्थिक संकट में भी घिर गए हैं इसलिए मैंने मानवाधिकार, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री आदि को पत्र लिखकर कर निष्पक्ष जांच करवाए जाने की मांग की है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट शोएब ने कहा कि मोदी सरकार अब घर वापसी के नाम पर संघ का एजेंडा मुसलमानों पर थोपने का प्रयास कर रही है । उन्होंने कहा कि घर वापसी अभियान पहले बजरंग दल और आरएसएस द्वारा चलाया जाता था और अब यह अभियान मुसलमानों को परेशान करने के लिए एसटीएफ के नाम पर चलाया जा रहा है । एसटीएफ और जांच एजेंसियां मिलकर घर वापसी के नाम पर पकड़ पकड़ कर लोगों को गवाह और मुखबिर बना रही है जो कि लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने मोहम्मद आतिफ द्वारा उच्चाधिकारियों, मानवाधिकार, प्रधानमंत्री व ग्रहमंत्री को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि पत्रकारों को दिखाते हुए कहा कि पिछले दिनों अजमेर धमाकों पर संघ के लोगों को सजा सुनाई गई तथा मध्यप्रदेश में संघ से जुड़े आई एस आई के एजेंटों की गिरफ्तारी हुई और पूरे देश में गोवंश के नाम पर हिंसा बढ़ती जा रही है ऐसे में यह घर वापसी अभियान की जरूरत क्या है ? उन्होंने कहा कि आतंकवाद को जिस तरह से मुसलमानों से जोड़ा जा रहा है और उसका हल निकाला जा रहा है यह संघ की सोची समझी राजनीति का एक हिस्सा है और इसीलिए इसका नाम घरवापसी रखा गया है ।